विश्वविद्यालय की प्रौद्योगिकी से कृषि आय में सुधार के साथ-साथ बाजार में न बिकने वाले खराब क्वालिटी सेब का पूर्ण उपयोग कर सिरका बनाये जाने पर विचार किया गया। बाजार में न बिकने वाले लो ग्रेड सेब से नौणी विश्वविद्यालय खाद्य विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक सिरका तैयार करेंगे। इसे जल्द ही मार्केट में भी उतारने की तैयारी चल रही है। वैज्ञानिक डीएसटी परियोजना के तहत विकसित प्रौद्योगिकी से इसका उत्पादन करेंगे। इसके तहत शनिवार को विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा ने शिमला की खाद्य प्रसंस्करण कंपनी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
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इस अवसर पर रुहिल फूड प्रोसेसिंग यूनिट, शिमला से नंदा छजता और यशवंत छाजटा उपस्थित रहे। समझौते पर कुलपति डॉ. परविंदर कौशल की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने विभाग की ओर से विकसित कई अन्य तकनीकों और प्रक्रियाओं से अवगत करवाया, जो उद्यम के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सेब के सिरके की मांग कई गुना बढ़ गई है। कंपनी सेब का सिरका बनाने और बेचने के लिए विश्वविद्यालय की तकनीक का उपयोग करेगी और उत्पाद लेबल पर विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी का नाम लिखा जाएगा।