लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना की शताब्दी वर्ष में छात्र कल्याण और उन्नयन के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता दिखाई है। हाल के वर्षों में विश्वविद्यालय ने न केवल अकादमिक और सह-पाठ्यचर्या संबंधी योजनाओं को तैयार करने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन के साथ व्यावसायिक आचरण और कार्य नैतिकता में व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित करने के लिए भी तैयारी की है। कर्मयोगी योजना के शुभारंभ का उद्देश्य छात्रों को सीखने के दौरान कमाई के लिए प्रोत्साहित करना था, ताकि वे वित्तीय जिम्मेदारी सीख सकें, साथ ही उनमें एक कार्य लोकाचार भी पैदा कर सकें।
इस योजना के तहत चुने गए छात्रों को उनकी कक्षाओं के बाद 150 रुपये प्रति घंटे की दर से एक शैक्षणिक सत्र में अधिकतम 50 दिनों के लिए प्रतिदिन 2 घंटे से अधिक के कार्य दिवस के साथ परिसर में अंशकालिक नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वे एक वर्ष में अधिकतम 15,000 रुपये प्राप्त कर सकते हैं। उनके कार्य असाइनमेंट प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कार्यालय, कंप्यूटर केंद्र, शिक्षकों को सहायता, डे केयर सेंटर आदि में हो सकते हैं। इस योजना को अत्यधिक सकारात्मक समर्थन मिला। कुल 540 आवेदन प्राप्त हुए हैं। आवेदकों के योग्यता, रुचियों, विशेषज्ञता, कौशल और समग्र प्रतिबद्धता का आकलन करने के लिए कठोर साक्षात्कार का आयोजन किया गया था।
इस अभिनव योजना के अग्रदूत बनने के लिए कुल 71 छात्रों का चयन किया गया है। उनकी प्रतिबद्धता और प्रदर्शन इस योजना की भविष्य की सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा और भविष्य में आगे के अनुप्रयोगों को प्रोत्साहित करेगा।अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो पूनम टंडन ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत छात्रवृत्ति छात्र कल्याण निधि से दी जाएगी जिसका पूर्व में नाम पुआर स्टूडेंट्स एड फंड था। इस निधि से विश्वविद्यालय ने कर्मयोगी योजना के साथ साथ छात्रों के लिए दो अन्य स्कालर्शिप भी शुरू करी गयी है – छात्र कल्याण छात्रवृत्ति तथा शोध मेधा छात्रवृत्ति । कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने कर्मयोगी योजना में चयनित छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यों में छात्रों की भागीदारी उनके लिए तथा संस्था के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।