शिक्षा विभाग एवं परामर्श और मार्गदर्शन प्रकोष्ठ, लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘हैप्पीनेस एंड वेलबीइंग: नीड ऑफ द ऑवर’ पर एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को जीवन में खुशी की अवधारणा से परिचित कराना था। उद्घाटन और समापन के साथ कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. रोहन कुमार, सलाहकार मनोचिकित्सक, कानपुर और डॉ. रोनल कुमार, सलाहकार मनोवैज्ञानिक, कानपुर ने अंडरस्टैंडिंग हैप्पीनेस तथा नरचरिंग वेलबीइंग विद नेचर विषय पर अपने विचार व्यक्त किये जिनके अंतर्गत दोनों विशेषज्ञों ने हैप्पीनेस के प्रभाव, हैप्पी क्यों रहें, हैप्पी कैसे रहा जा सकता है और वो कौन से तरीक़े है जिन्हें हम सभी को जीवन में शामिल करना चाहिए और वेलबीइंग को कैसे हम प्रकृति के साथ जोड़कर स्वयं को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से भी कैसे सम्पोषित कर सकते है के बारे में सभी विद्यार्थियों को बताया।
कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में प्रो. तृप्ता त्रिवेदी, संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, ने इस तरह के लाभदायक कार्यक्रम के आयोजन के लिए कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. अर्पणा गोडबोले, एवं आयोजक समिति के अंतर्गत शिक्षाशास्त्र विभाग के शोधार्थियों, अर्चना पाल, आस्था सिंह और नूतन पांडे के प्रयासों की सराहना की। प्रो. मधुरिमा प्रधान, निदेशक, परामर्श और मार्गदर्शन प्रकोष्ठ, लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस पूरे व्याख्यान को पंचकोश से जोड़ते हुए बताया कि इन पांचों कोशों में ख़ुश रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मनोमय कोश की होती है, के अतिरिक्त अपने विचार साझा किए कि कैसे एक खुश दिमाग जीवन की बाधाओं को दूर कर सकता है। इस कार्यक्रम में लगभग 50 विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।