कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिए जाने का काम तेजी से चल रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीनेशन ही कोरोना के गंभीर संक्रमण और इसके कारण होने वाली मौत के खतरे से सुरक्षित रखने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है। सामान्य तौर पर बुजुर्गों और युवा लोगों में टीके के साइड-इफेक्ट्स अलग हो सकते हैं।
बुजुर्गों में होने वाले वैक्सीनेशन के साइड-इफेक्ट्स
माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है। शरीर में वैक्सीन के इंजेक्ट होते ही प्रतिरक्षा कोशिकाएं प्रतिक्रिया में लग जाती हैं। वृद्धावस्था में सामान्यतौर पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया धीमी होती है, यही कारण है कि ज्यादा उम्र वाले लोगों में वैक्सीनेशन के अधिक तीव्र प्रभाव देखने को नहीं मिलते हैं। 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों पर किए गए परीक्षण में वैज्ञानिकों को यह बातें जानने को मिली हैं। अनुसंधान के मुताबिक वृद्ध लोगों में वैक्सीनेशन के कारण इंजेक्शन लगे स्थान पर दर्द, लालिमा, सूजन, शरीर में दर्द और थकान की समस्या हो सकती है। ज्यादा उम्र के लोगों में वैक्सीनेशन के बाद बुखार की शिकायत कम देखी गई है।
युवाओं में वैक्सीनेशन के साइड-इफेक्ट्स
विशेषज्ञों के मुताबिक युवावस्था में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत और सक्रिय रहती है। यही कारण है कि 65 साल वाले लोगों की तुलना में युवाओं में वैक्सीनेशन के साइड-इफेक्ट्स काफी हद तक अधिक प्रभावी हो सकते हैं। वैक्सीनेशन के बाद युवाओं को मुख्यरूप से थकान, हल्का बुखार, ठंड लगने, जोड़ों और पीठ दर्द के साथ बुखार की समस्या हो सकती है। युवा महिलाओं में टीकाकरण के बाद मिचली, पेट में दर्द, ऐंठन और मासिक धर्म चक्र में अस्थायी परिवर्तन जैसी समस्या भी हो सकती है।