ईरान के मौजूदा चीफ जस्टिस इब्राहिम रईसी ने भारी बहुमत से देश का राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. डिप्टी इंटीरियर मिनिस्टर जमाल ओर्फ़ ने कहा कि शुक्रवार के चुनाव में 28.6 मिलियन ईरानियों ने हिस्सा लिया और अब तक लगभग 90 फीसद वोटों की गिनती के साथ, रईसी ने 17.8 मिलियन से ज्यादा वोट हासिल कर चुके हैं. वहीं दूसरे स्थान पर 3.3 मिलियन मतपत्रों के साथ इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक सीनियर अफसर अधिकारी और एक्सपीडिएंसी डिस्कर्नमेंट काउंसिल के मौजूदा सेक्रेटरी मोहसिन रेज़ाई थे.

माना जा रहा है कि इस बार ईरान में चुनावों को लेकर गार्जियन काउंसिल ने भी असामान्य रूप से कड़े नियम लागू किए हैं. ऐसे में रईसी को कड़ी चुनौती देने वाला कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं बचा. साथ ही इन कठोर नियमों ने मतदाताओं का उत्साह कम करने का भी काम किया है. सरकार से संबद्ध ओपिनियन पोल में भी रईसी को सबसे प्रबल उम्मीदवार बताया गया है. ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख अब्दुल नासिर हिम्मती भी उदारवादी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उन्हें मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी जैसा समर्थन हासिल नहीं है.

वर्ष 2017 में हुए चुनाव में रायसी ने भी चुनाव लड़ा था लेकिन उदारवादी रुहानी ने उन्‍हें भारी मतों से हरा दिया था. रायसी को 38 फीसदी वोट मिले थे, वहीं रुहानी को 57 प्रतिशत वोट मिले थे. ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख अब्दुलनासिर हेम्माती भी उदारवादी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रुहानी जैसा समर्थन उन्हें हासिल नहीं है. रायसी अगर निर्वाचित होते हैं तो वह पहले ईरानी राष्ट्रपति होंगे जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है. उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिये तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था.

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