छात्र कल्याण और उनके उत्थान के लिए अपने संकल्प को निरंतर जारी रखते हुए, लखनऊ विश्वविद्यालय ने ‘poor student aid fund’ का नाम बदल कर ‘छात्र कल्याण निधि’ कर दिया है, जो एक उन्नत और अधिक परोपकारी संस्करण है। इस निधि से विभिन्न स्तरों के छात्रों को और अधिक लाभ देने के लिए कई छात्र केंद्रित योजनाओं का प्रारम्भ किया गया है। कर्मयोगी योजना के अंतर्गत छात्रों को सहायता प्रदान करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय ने ‘छात्र कल्याण योजना’ के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु छात्रों का चयन किया है।लखनऊ विश्वविद्यालय इस तथ्य के प्रति जागरूक है कि यहाँ विभिन्न आय वर्ग के छात्र हैं।
विश्वविद्यालय में अत्यंत होनहार, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के संबंध में यह देखा गया है कि उन्हें मुख्य रूप से फीस, भोजन, आवास, अध्ययन और स्वास्थ्य संबंधी खर्चों से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ही ‘ छात्र कल्याण छात्रवृत्ति ‘ की शुरुआत की गयी।इस योजना में छात्रों को एक शैक्षणिक सत्र के लिए 15,000 रुपये मिलेंगे। इस योजना के लिए पात्रता मानदंड यह है कि उसके माता-पिता या अभिभावकों की कुल आय रुपये 03 लाख से अधिक नही हो, छात्र ने पिछली परीक्षा न्यूनतम 60% अंकों के साथ उत्तीर्ण किया हो, छात्रों की पिछले शैक्षणिक सेमेस्टर / वर्ष में कम से कम 75% उपस्थिति होनी चाहिए, और फेलोशिप / छात्रवृत्ति सहित किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता प्राप्त नही हो रही हो।
डीन, छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय को इस योजना के लिए 343 आवेदन प्राप्त हुए हैं। विश्वविद्यालय के सभी संकायों में समान प्रतिनिधित्व के लिए कुल 49 पात्र छात्रों को उनकी संबंधित श्रेणियों (अंडर-ग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट और पीएचडी) में योग्यता के आधार पर चुना गया है।कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने सभी चयनित छात्रों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह योजना विश्वविद्यालय और उसके छात्रों के बीच के सम्बंधों को मज़बूती देगी और छात्रों और उनके अभिभावकों दोनों पर थोड़ा भार कम करेगी।विश्वविद्यालय को उम्मीद है कि इस तरह की छात्र केंद्रित पहलों का विस्तार जारी रहेगा और इससे वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालय अपनी छवि को मजबूत करेगा, और भारतीय छात्रों के साथ-साथ, विदेशी छात्रों के लिए एक लोकप्रिय अध्ययन केंद्र होगा।