कोरोना: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि समय के साथ इम्युनिटी में गिरावट हो रही तो ऐसे में लगता है कि वायरस के लगातार बदले स्वरूप को देखते हुए भविष्य में टीके की अगली पीढ़ी को बूस्टर डोज लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
उन्होंने साफ किया कि बूस्टर डोज अगली पीढ़ी की दवा होगी। वायरस के नए स्वरूपों से लड़ने के लिए हमें बूस्टर डोज की जरूरत होगी। दूसरी पीढ़ी के ये टीके बेहतरीन इम्युनिटी देंगे जो वायरस के नए स्वरूपों के खिलाफ प्रभावी और असरदार होंगे। इन बूस्टर खुराकों का परीक्षण चल रहा है।
संभवत: इस साल के अंत तक बूस्टर डोज की जरूरत पड़े, लेकिन यह तभी होगा जब एक बार पूरी आबादी का टीकाकरण हो जाए। उसके बाद ही बूस्टर डोज दी जाएगी। वहीं उन्होंने बताया कि कोवाक्सिन का बच्चों पर परीक्षण चल रहा है, गुलेरिया ने कहा कि सितंबर तक बच्चों के लिए टीके आ जाएंगे। अब जहां देश में कोरोना के मामले घट रहे हैं। हम विशेष सावधानी बरतते हुए जिन इलाकों में संक्रमण दर कम हो वहां पहले की तरह स्कूल शुरू कर सकते हैं l
