यूपी: प्रयागराज एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की तैयारी शुरू, माघ मेले के बाद शुरू हो सकता है विस्तार, एक साथ खड़े हो सकेंगे 8 विमान

एयरपोर्ट: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में वर्ष 2025 में होने वाले विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुम्भ मेले से पहले प्रयागराज एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा एयरपोर्ट के विस्तार की रूपरेखा निर्धारित कर ली गई है। एयरपोर्ट के विस्तार के लिए तमाम कार्य होने हैं। इसकी शुरूआत एयरपोर्ट में एप्रन के विस्तार से होगी।

इसके विस्तार के बाद प्रयागराज एयरपोर्ट में एक साथ आठ विमान आसानी से खड़े हो सकेंगे। माघ मेले के बाद यह काम शुरू होने की उम्मीद है। प्रयागराज एयरपोर्ट को इंटरनेशनल दर्जा दिलाए जाने की घोषणा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सितंबर 22 में की थी। तब उन्होंने एयरपोर्ट के विस्तार एवं इसे इंटरनेशनल दर्जा दिलाए जाने का प्रस्ताव भेजे जाने की बात कही।

मौजूदा समय में एयरपोर्ट टर्मिनल में एक बार में अधिकतम 300 यात्रियों के ही बैठने की व्यवस्था है। इसे देखते हुए एयरपोर्ट प्रशासन ने टर्मिनल बिल्डिंग के विस्तार के लिए सर्वे किया है। बताया जा रहा है कि एयरपोर्ट में विभिन्न शहरों की तरफ से आने वाले यात्रियों के आगमन वाले स्थान पर एयरपोर्ट का विस्तार करने की योजना है। वहां एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा एप्रन का विस्तार किया जाएगा।

इसके  लिए टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। एप्रन के विस्तार के बाद यहां एक साथ आठ विमान खड़े हो सकेंगे। अभी यहां एक बार चार विमान ही खड़े हो सकते हैं। हालांकि एयरपोर्ट प्रशासन की अभी यहां एयरो ब्रिज बढ़ाने की योजना नहीं है। इस बारे में एयरपोर्ट निदेशक आरआर पांडेय का कहना है कि एप्रन विस्तार के लिए टेंडर प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी।

प्रयागराज एयरपोर्ट के विस्तार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। अक्तूबर 22 की बात करें तो माह भर में यहां 52 हजार से ज्यादा यात्रियों एवं 702 विमानों का आवागमन हुआ। इस हिसाब से यहां हर रोज 23 विमान एवं तकरीबन 1800 यात्रियों की आवाजाही हुई। वर्तमान समय एयरपोर्ट में एक बार में 300 यात्री ही बैठ सकते हैं। इस वजह से जब घंटे भर के भीतर चार विमानों की आवाजाही हो जाती है, तब यहां ज्यादा दिक्कत आती है। प्रयागराज एयरपोर्ट में लगातार बढ़ रही यात्रियों की आवाजाही और विमानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसके विस्तार की जरूरत महसूस की गई हैं।