विशेष अध्ययन: धूप चिकित्सा पद्धति पर भारत में हुआ पहला अध्ययन, वैज्ञानिकों ने खोजा एयर वैद्य जो की कोरोना से बचाएगा

एयर वैद्य : आयुर्वेद में वर्षों से चली आ रही धूप चिकित्सा पद्धति पर भारत में हुए दुनिया के पहले वैज्ञानिक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि कोरोना वायरस से बचाव में धूप अहम भूमिका निभाएगी। वैज्ञानिकों ने एयर वैद्य की खोज की है जो संक्रमण से बचाव के अलावा उसे प्रसारित होने भी नहीं देता। एयर वैद्य एक धूप है जिसकी सुगंध के जरिये 19 तरह की जड़ी बूटियों का सेवन दिन में दो बार कर कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं एक पारदर्शी केबिन में बंद मक्खियों पर भी इसका परीक्षण हुआ है जिसमें किसी भी तरह के हानिकारक तत्व की पहचान नहीं हुई है।

इंसानों के लिए एयर वैद्य को पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया है। इस अध्ययन को बनारस हिंदू विवि (बीएचयू) और एमिल फार्मास्युटिकल्स ने मिलकर किया है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की क्लीनिकल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया में भी पंजीयन के बाद यह अध्ययन दो समूह में किया गया। बीएचयू के वरिष्ठ डॉ. केआरसी रेड्डी ने बताया कि 19 जड़ी-बूटियों से खोजा गया एयर वैद्य एक हर्बल धूप के रुप में है। हाल ही में इस पर दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हुआ है। दो अलग अलग समूह में हुए इस अध्ययन में पता चला है कि दिन में दो बार इसके इस्तेमाल करने पर कोरोना संक्रमण से बचाव किया जा सकता है।

एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि राल, नीम, वासा, अजवाइन, हल्दी, लेमन ग्रास और वच सहित 19 जड़ी बूटियों पर अध्ययन हुआ है। इस दौरान एयर वैद्य में चार किस्म के औषधीय गुण वायरस रोधी होना, सूजनरोधी होना, सूक्ष्मजीव रोधी और प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करना शामिल हैं। डॉ. रेड्डी का कहना है कि यही चारों गुण कोरोना वायरस के खिलाफ बचाव में कार्य करते हैं।

एक समूह में 100 और दूसरे समूह में 150 यानी 250 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया। एक समूह को एयर वैद्य की धूप चिकित्सा सुबह-शाम दी गई। जबकि दूसरे समूह के लोगों को यह चिकित्सा नहीं दी गई। 30 दिन तक यह प्रक्रिया अपनाने के बाद जब कोविड जांच हुई तो पता चला कि जिन्होंने एयर वैद्य का इस्तेमाल नहीं किया उनमें 37 फीसदी लोग संक्रमित मिले। जबकि जिन्होंने इसका इस्तेमाल किया उनमें महज चार फीसदी संक्रमित मिले। एयर वैद्य की वजह से इनमें से किसी भी रोगी में लक्षण विकसित नहीं हुआ।

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