नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश देकर सरकार के बालू, पत्थर और गिट्टी भारत भेजने के फैसले पर रोक लगा दी. ऐसा पर्यावरणविदों और विपक्षी नेताओं के चिंता जताने के बाद किया गया है. मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कार्यवाहक सरकार इस निर्यात को तब तक के लिए रोक दे, जब तक मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता. पीठ में जस्टिस मीरा खडका, हरिकृष्ण कार्की और विश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ भी हैं. इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री विष्णु पौडेल ने भारत को बालू, पत्थर और गिट्टी के निर्यात की घोषणा की थी. कहा था कि इससे देश का व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलेगी. जबकि पर्यावरणविदों ने सरकार को इस फैसले के प्रति आगाह किया था.

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पांच पूर्व प्रधानमंत्रियों- शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनाल और बाबूराम भट्टाराई- ने भी रेत और बजरी भारत को निर्यात करने के सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी. रिट याचिका दायर करने वालों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद-30 और 51का उल्लंघन करता है. न्यायालय ने सरकार से 15 दिनों के भीतर इस नीति के पीछे के कारणों से भी अवगत कराने को कहा है. बता दें कि संसद का निम्न सदन भंग कर दिया गया है और कार्यवाहक सरकार ने अध्यादेश के जरिये बजट पेश किया है.

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