अलविदा मिल्खा:पूर्व दिग्गज धावक फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह नहीं रहे। कोरोना वायरस से जूझने के बाद 91 वर्ष की उम्र में निधन

तीन बार के ओलिंपियन और भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का निधन हो गया। उन्होंने 91 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। वह पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस से जूझ रहे थे। मिल्खा कुछ हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। वो स्वतंत्र भारत के खेल सितारों में से एक थे। उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में अपना दबदबा कायम रखा। उनकी रफ्तार की दुनिया कायल थी। दिग्गज एथलीट का जन्म 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (वर्तमान पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में हुआ था। वह विभाजन के बाद भारत आ गए थे।

तीन बार सेना ने मिल्खा को किया था खारिज

मिल्खा सिंह को बचपन से खेल की दुनिया में दिलचस्प थी। वह भारत आने के बाद सेना में शामिल में हो गए थे, जहां से उनका करियर चमक उठा। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मिल्खा को सेना ने तीन बार खारिज कर दिया था। वह चौथी बार में चुने गए थे।उन्होंने सेना में रहते हुए अपने कौशल को और निखारा। मिल्खा एक क्रॉस-कंट्री दौड़ में 400 से अधिक सैनिकों के साथ दौड़े थे, जिसमें वह छठे स्थान पर आए थे। यही वो वक्त था जब उनकी किस्मत बदल गई और उनके मजबूत करियर की नींव पड़ी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार अपनी छाप छोड़ी। 

कैसे पड़ा मिल्खा का ‘फ्लाइंग सिख’ नाम

मिल्खा सिंह ने राष्ट्रीय खेलों के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स में एक और एशियन गेम्स में 4 गोल्ड मेडल जीते। मगर क्या आपको मालूम है कि मिल्खा का ‘फ्लाइंग सिख’ नाम इन उपलब्धियों की वजह से नहीं बल्कि पाकिस्तानी धावक को हराने की वजह से पड़ा था। दरअसल, मिल्खा ने लाहौर में पाकिस्तान के चोटी के धावक अब्दुल खालिक को शिकस्त दी थी, जिसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने ‘द फ्लाइंग सिख’ नाम दिया था। मिल्खा को पदक पहनाते हुए अयूब खान ने कहा, ‘आज मिल्खा दौड़ नहीं उड़ रहे थे इसलिए हम उन्हें फ्लाइंग सिख के खिताब का नजराना देते हैं।’

जिंदगी में रहा इस बात का बेहद मलाल
मिल्खा सिंह ने अपनी जिंदगी में काफी शोहरत देखी, लेकिन उन्हें 1960 के रोम ओलंपिक में मेडल से चूकने का बेहद मलाल रहा। मिल्खा को मामूली अंतर से रह गए थे, जिसके चलते उन्हें चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। उन्होंने 45.6 का समय निकाला था वहीं कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था। मिल्खा ने एक इंटरव्यू में ओलंपिंग पदक से चूकने का कारण बताया था। उन्होंने कहा था, ‘मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया। इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी।’

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