यूपी: यूपी सरकार ने किसानों को राहत देते हुए सूखे या अतिवृष्टि से फसल बर्बाद होने पर सहायता के लिए समयावधि की तय

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले हुई बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। यूपी के बड़े इलाके को बारिश और बाढ़ ने भारी नुकसान पहुंचाया है। लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हो गए थे। योगी आदित्यनाथ सरकार लोगों को राहत देने में जुटी हुई है। यूपी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदाओं के चलते फसलें बर्बाद होने पर सहायता के लिए समयावधि तय कर किसानों को बड़ी राहत दी है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत यदि फसलों की क्षति दैवी आपदा से होती है तो बीमा कवर प्रदान किया जाता है। इसमें सबसे पहले मध्यावस्था क्षति के तहत बीमित राशि दी जाती है। मध्यावस्था फसल की शुरुआत से लेकर फसल कटाई के 15 दिन पूर्व तक मानी जाती है। इस दौरान प्रतिकूल मौसम की वजह से फसल की अनुमानित उपज की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी की स्थिति में राजस्व व कृषि विभाग के कर्मचारियों द्वारा नुकसान की सूचना 3 दिनों के भीतर डीएम को देनी होती है।

सूचना मिलने के 7 कार्य दिवस में डीएम या उप कृषि निदेशक कार्यालय से प्रभावित ग्राम पंचायत के संबंध में सूचना लिखित रूप से बीमा कंपनी को उपलब्ध कराएंगे। जिला स्तर पर राजस्व व कृषि विभाग एवं बीमा कंपनियों की गठित टीम  आपदा के 15 दिनों में संयुक्त सर्वे कर क्षति का आकलन करेगी। इसके बाद सूचना प्राप्त होने के 30 दिन में ग्राम पंचायत में बीमित किसान को तात्कालिक सहायता के रूप में क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी। तात्कालिक सहायता को मौसम के अंत में फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर फसल की आकलित कुल देय क्षतिपूर्ति की राशि में समायोजित किया जाएगा।

ओलावृष्टि, जलभराव (फसल धान को छोड़कर), भूस्खलन, बादल फटना, बिजली गिरने से फसलों में लगने वाली आग जैसी स्थानीय आपदाओं से फसलों की क्षति की स्थिति में किसानों को 72 घंटे में व्यक्तिगत दावा कंपनी को प्रस्तुत करना होगा। दावे में किसानों को ग्राम पंचायत, प्रभावित खेत का खसरा नंबर, फसल व प्रभावित क्षेत्र का विवरण देना होगा। सूचना मिलने के 48 घंटे में बीमा कंपनी को सर्वेयर की नियुक्ति करनी होगी।