मेडिकल: हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके तहत अल्ट्रासाउंड क्लिनिक खोलने के लिए एमबीबीएस डॉक्टरों को भी 6 माह का प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया था l अदालत के इस फैसले से हजारों डॉक्टरों को राहत मिली हैlदिल्ली सहित देशभर मे अब जेनेटिक क्लिनिक, इमेजिन सेंटर और अल्ट्रासाउंड क्लिनिक खोलने के लिए डॉक्टरों को अलग से 6 माह का प्रशिक्षण लेने की जरूरत नही होगीl
हाईकोर्ट ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देकर कहा कि केंद्र सरकार को इस तरह का कोई नियम बनाने का अधिकार नहीं है l चीफ जस्टिस जी.रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की पीठ ने सोनोलॉजिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिसन और इंडियन रेडियोलॉजिकल् और इमेजिन एसोसिसन की ओर से दाखिल याचिकाओ का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया हैl
हालांकि, पीठ ने केंद्र के निर्णय को अवैध बताते हुए कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की धारा- 2 के तहत सभी एमबीबीएस डॉक्टर सोनोलॉजिस्ट हैंl केन्द्र को इस तरह का कोई नियम बनाने का अधिकार नहीं हैl उन्हे अल्ट्रासाउंड क्लिनिक खोलने के लिए अलग से प्रशिक्षण लेने की जरूरत नहीं हैl
डॉक्टरों को देना होगा हलफनामा
पीठ ने 83 पन्नों के फैसले मे कहा कि कहीं भी इस्तेमाल हो रही अल्ट्रासाउंड मशीन का पंजीकरण जरूरी हैंl अदालत ने कहा, डॉक्टरों को इस बात का भी हलफनामा देना होगा कि वह अल्ट्रासाउंड मशीन या स्कैनर मे ऐसा कोई यंत्र नही लगायेगा, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से लिंग की पहचान हो सकेl
साफ कर दिया है कि क्लिनिक खोलने के लिए आवेदन करते समय डॉक्टरों को इस बात की प्रत्याभूति देनी होगी कि वह प्रसव पूर्व किसी भी तरह से लिंग का परीक्षण नहीं करेंगेl
