अपनी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुला लेने के बाद अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान की उन महिलाओं को वीजा देने पर विचार कर रही है, जो तालिबानी कब्जे में खतरे में पड़ सकती हैं, क्योंकि तालिबानी शासन का सबसे बुरा असर महिलाओं पर ही होता है.

इस रूपरेखा में वहां जिस महिला पर अधिक खतरे का संदेह है उन्हें अमेरिका तत्काल वीजा जारी करने को लेकर विचार कर रहा है.गौरतलब है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता काफी लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि महिला अधिकारों के लिए काम करने वालीं और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय महिलाओं को तालिबान के जाल में फंसेने से पहले निकाला जाना चाहिए.

इस बीच एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि अमेरिकी सरकार सिर्फ उन महिलाओं के बारे में विचार नहीं कर रही है, जो खतरे में हैं, बल्कि खतरनाक पेशों में काम करने वाले पुरुषों और अल्पसंख्यकों के हालातों पर भी विचार कर रही है.महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था मीना ज लिस्ट की अडवोकेसी डायरेक्टर टेरेसा कैसेल कहती हैं कि जिंदगियां खतरे में हैं. वह बताती हैं, “तालिबान चुन चुनकर महिला नेताओं को मार रहा है.

हर रोज ऐसी महिलाओं को जान से मारे जाने की धमकियां मिल रही हैं.”बता दें कि अमेरिका के 90 फीसद सैनिक पहले ही अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं. सितंबर तक यहां मौजूद सभी अमेरिकी सैनिकों की स्वदेश वापसी हो जाएगी. जर्मनी समेत बाकी कई नाटो देशों की सेनाएं पहले ही अफगानिस्तान से जा चुकी हैं.

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