कोरोना की दूसरी लहर के बाद किसी न किसी बीमारी का आगमन होता जा रहा है इसी क्रम में ब्लैक फंगस के मरीजों में गंभीर बीमारी का पता चला है। मरीजों के धमनियों में रक्त का थक्का जम रहा है। इसे वैज्ञानिक भाषा में आर्टरियल थ्रॉम्बोसिस नाम की बीमारी कहते हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पोस्ट कोविड वार्ड में सात ऐसे मरीजों का ऑपरेशन हो चुका है। इन मरीजों के आंखों की धमनियों में ब्लड क्लॉटिंग हो गई थी, जिसे समय से हटा दिया गया। वरना उनकी आंखें निकलनी पड़ती।
विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि अगर ब्लैक फंगस का लक्षण दिखें तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें, वरना किसी भी अंग को काटना पड़ सकता है।
इससे पहले कोरोना के कारण नसों में खून का थक्का जमने के मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन अब धमनियों में ब्लड क्लॉट के मामले सामने आ रहे हैं। बीआरडी में सात ऐसे मरीजों का ऑपरेशन भी किया गया है। इन मरीजों में ब्लैक फंगस की शिकायतें थी। जांच में उनकी धमनियों में रक्त का थक्का जमा मिला। इन मरीजों की उम्र 45 वर्ष के अंदर है।
फंगस की वजह से उनकी आंखों में इंजेक्शन लगाना पड़ता है । ऐसे मरीजों को सलाह दी गई है कि वह तीन महीने तक अपने आंखों की समय-समय पर जांच कराते रहे। क्योंकि ब्लैक फंगस होने से ठीक होने के बाद भी लोगों में फंगस होने का दोबारा डर लगा रहता है।