इंदिरा गांधी के समाजवादी रुझान के कारण अब्दुल गफूर बिहार के मुख्यमन्त्री बने- अनिल चमड़ीया

विनय त्रिपाठी की रिपोर्ट
मंडल प्रभारी(गोरखपुर)

लखनऊ।बिहार के पूर्व मुख्यमन्त्री अब्दुल गफूर बेदाग छवि के नेता थे. कांग्रेस की समाजवादी और सेकुलर विचारधारा के अपने समय के उत्कृष्ट प्रतिनिधि थे।अपने दो साल के कार्यकाल में अपने नेतृत्व की छाप छोड़ी और बिहार के विकास की बुनियाद रखी।
ये बातें पूर्व केंद्रीय मन्त्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री तारिक़ अनवर ने उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमन्त्री स्वर्गीय अब्दुल गफूर की 17 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित वेबिनार में कहीं। आज हर ज़िले में अल्पसंख्यक समाज के 25 अधिवक्ताओं को अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा गफूर एक्सिलेंसी सम्मान भी दिया गया।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़ीया ने कहा कि अब्दुल गफूर साहब सुभाष चंद्र बोस के सबसे क़रीबी सहयोगियों में रहे।उन्होंने ही सबसे पहले यह प्रस्ताव लाया था कि शैक्षणिक संस्थानों के नामों में धार्मिक पहचान वाले शब्दों को न जोड़ा जाए।
श्री चमड़ीया ने कहा कि 1973 में इंदिरा गांधी ने उन्हें तब मुख्यमन्त्री बनाया जब बिहार के अंदर फासीवादी और सांप्रदायिक ताक़तों का उभार था।1971 के युद्ध के बाद पड़ोस में बांग्लादेश का निर्माण हो चुका था और बिहार के आंचलिक इलाक़ों में काफी असंतोष था. ऐसे समय में एक मुस्लिम राजनेता को मुख्यमन्त्री बनाना इंदिरा गांधी के समाजवादी रुझान के कारण ही मुमकिन हो पाया।उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन से जुड़े नेताओं को एक मुस्लिम सेकुलर नेता के वजूद से खतरा महसूस होता था. वो एक ऐसे मुख्यमन्त्री थे जो जनता के समक्ष  टेलीफोन के ज़रिये सीधे उपस्थित रहते थे।संचालन अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश सचिव शाहनवाज़ आलम ने किया।उन्होंने बताया कि आज हर ज़िले में अल्पसंख्यक समुदाय के 25 अधिवक्ताओं को गफूर एक्सिलेंसी सम्मान से सम्मानित किया गया।उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही एक मात्र पार्टी है जिसने कश्मीर के बाहर भी 5 मुस्लिम मुख्यमन्त्री दिये।
बिहार अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन मिन्नत रहमानी ने स्वतंत्रा आंदोलन में अब्दुल गफूर साहब की भूमिका पर रोशनी डाली।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी तौकीर आलम ने पूर्व मुख्यमन्त्री को एक कुशल प्रशासक और दूरदृष्टा नेता बताया
वेबिनार में अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन मोहम्मद अहमद, डॉ श्रेया चौधरी, महासचिव मुनीर अकबर, हुमायूँ बेग, शाहनवाज़ खान, मोहम्मद उमैर, दिल्ली अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रवक्ता अखलाक अहमद, सबिहा अंसारी, शाहिद तौसीफ, इक़बाल क़ुरैशी आदि मौजूद रहे।

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