अफगानिस्तान: अफगानिस्तान अर्थव्यवस्था तालिबान राज में दुनिया से आर्थिक मदद के अभाव में ढहने के कगार पर है। अमेरिका ने अफगान केंद्रीय बैंक में जमा करीब 700 अरब डॉलर पर रोक लगा दी है। आईएमएफ और विश्व बैंक ने कर्ज देने से मना कर दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि तालिबान हवाला या नशीले पदार्थों की तस्करी से फंड जुटा सकता है।
मनी एक्सचेंजर मोहम्मद यूसुफ हमीदी का कहना है कि तालिबान ने दो सप्ताह तक हवाला पर भी रोक लगाई थी। कैश न होने से स्थिति हाथ से बाहर निकल चुकी है। मुद्रा की कीमत गिर रही है। रोजमर्रा की चीजों की कीमत हर दिन बढ़ रही है जो किसी भी अफगानी नागरिक के बस में नहीं है। नतीजतन भुखमरी के हालात होने लगे हैं।
अफगानिस्तान के पूर्व वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे मोहम्मद सुलेमान बिन शाह बताते हैं, तालिबानी लोगों से खाद्य सामग्री मांगते फिर रहे हैं। तालिबान पैसा पाने के लिए नए इलाकों में धौंस जमाएगा। आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह बंद होने से तालिबान का भी गुजारा मुश्किल हो गया है।
चीन और पाकिस्तान, अफगान अर्थव्यवस्था पर कब्जे की तैयारी में लग गए हैं। दोनों देशों ने इसके लिए अफगानिस्तान आर्थिक मदद भी शुरू कर दी है। पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा करने में मदद की थी। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अब अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी चलाने के लिए सलाह दे सकता है। इसी तरह चीन की युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अपना दबदबा बनाने की फिराक में है। इसके लिए उसने कुछ योजनाएं भी तालिबान के सामने रख दी हैं। वहीं पाकिस्तान ने घोषणा कर दी है कि वो अफगानिस्तान के साथ व्यापार पाकिस्तानी रूपये में करेगा।
