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BREAKING NEWS: बाइडन का संबोधन कहा- मिशन रहा कामयाब, अफगानिस्तान छोड़ने के अलावा नहीं था और कोई रास्ता, बाइडन ने क्या-क्या कहा पढ़ें-

अफगानिस्तान: अफगानिस्तान से सैन्य वापसी के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने देश को संबोधित करते हुए बाइडन ने अपने संबोधन में अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन को कामयाब बताया। वहां लाखों-करोड़ों डॉलर खर्च किए गए और ये अभियान बेहद महंगा साबित हो रहा था, साथ ही कहा कि अमेरिका के पास काबुल छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

हमने जो अफगानिस्तान में किया वो गर्व की बात है। हमारी मौजूदगी में अफगानिस्तान में शांति रही, अफगानिस्तान में हमारा मिशन कामयाब रहा। मेरा मानना है कि हमारा फैसला सही है और सबसे बेहतर है। अफगानिस्तान में अब युद्ध खत्म हो गया है। अमेरिका ने करीब 20 साल के बाद अफगानिस्तान खाली किया है। 30 अगस्त को ही अमेरिकी सेना का आखिरी जत्था अफगानिस्तान से चला गया था। इसी के साथ अमेरिका सेना ने काबुल एयरपोर्ट भी तालिबान के हवाले कर दिया। इसी के साथ यहां तालिबान का जश्न भी शुरू हो गया।

मैं इस फैसले की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। कुछ लोग कहते हैं कि हमें ये फैसला पहले लेना चाहिए था। मैं इससे सहमत नहीं हूं, अगर ये पहले होता तो इससे वहां अराजकता फैलती और गृहयुद्ध शुरू हो जाता। बिना चुनौती और खतरों के निकासी संभव ही नहीं होती।
मैं साफ कहना चाहता हूं कि जो भी अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा या जो हमारे या सहयोगियों के खिलाफ आतंकवाद में शामिल होगा, अमेरिका उसे चैन से नहीं बैठने देगा। हम उसे न माफ करेंगे, न भूलेंगे। हम उन्हें ढूंढेंगे और उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।

काबुल छोड़ने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था सेना वापसी के अभियान की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। अमेरिकी हितों के लिए काबुल छोड़ा। हमने अफगानिस्तान में तीन लाख सैनिकों को तैयार किया था। दो दशकों में अफगानिस्तान में कई घटनाए हुईं। हमने वहां लाखों-करोड़ों डॉलर खर्च किए। मैं जंग को बढ़ाना नहीं चाहता था। 100 से लेकर 200 अमेरिकी नागरिक वहां मौजूद हैं, जो अमेरिकी आना चाहेंगे, हम लेकर आएंगे, नागरिकों को निकालने की समय सीमा 31 अगस्त थी। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। गनी के भागने से अफगानिस्तान में अराजकता फैली, तालिबान ने 5 हजार कमांडो को जेल से छुड़ाया।
अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंक के लिए ना हो।

हम चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं, रूस से भी हमें चुनौती मिल रही है, हम अफगानिस्तान में उनसे प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहते, अब हम नए तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारी विदेश नीति देश हित में होनी चाहिए। हम अफगानी लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहेंगे, महिलाओं, बच्चों, व मानवाधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। अफगानिस्तान में 20 साल की हमारी लड़ाई बहुत मुश्किल थी, ये मिशन अमेरिका के लिए महंगा साबित हुआ है, हमने वहां बहुत संघर्ष किया है। मैं अमेरिका के सम्मान को सर्वोपरि रखता हूं।

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