पहल: देश की अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती इलाकों में सुविधाओं की कमी के चलते ग्रामीण इलाकों से पलायन हो रहा है। ऐसा होना देश की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार एक बड़ी पहल करने जा रही है, देश की सीमाओं से युवाओं को रूबरू करवाने और बार्डर एरिया के ग्रामीण इलाकों से पलायन रोकनेे के लिए केंद्र सरकार ‘बार्डर टूरिज्म’ शुरू करने जा रही है। इसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल से लेकर पूर्वोत्तर में अमल में लाया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं में कमी, बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था और रोजगार न होने के चलते गांवों से शहरों की ओर पलायन हो रहा है। सबसे अधिक दिक्कत देश की सीमाओं वाले राज्यों में है। पलायन के चलते गांव खाली हो चुके हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खतरा बढ़ रहा है। इसीलिए सरकार ‘बॉर्डर टूरिज्म’ ला रही है। इसमें सबसे पहले ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। जब घर के पास अच्छी शिक्षा, रोजगार के बेहतर मौके मिलने लगेंगे तो पलायन पर रोक लगेगी।
रोजगार बढ़ने से पलायन भी रुकेगा
केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री, जी किशन रेड्डी ने कहा कि ‘बॉर्डर टूरिज्म’ एक नया विषय है। फिलहाल सुविधाएं और रोजगार की कमी से बड़ी संख्या में शहरों की ओर पलायन हुआ है। यहां सुविधाएं बढ़ाने के साथ टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यटकों के आने से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा बार्डर एरिया की सुरक्षा में इजाफा होगा। युवा पीढ़ी को अपना बार्डर देखने का मौका भी मिलेगा।’
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पर्यटकों के चलते चहल पहल बढ़ेगी और इससे सीमाओं की सुरक्षा पर नजर भी रखी जा सकेगी। इसी सोच के तहत ‘बॉर्डर टूरिज्म’ को लेकर सरकार विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक्शन प्लान तैयार कर रही है। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्रियों को सौंपी गई है ताकि सभी विभाग एक साथ मिलकर काम को आगे बढ़ा सकें।
