अफगानिस्तान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कुछ आला अधिकारियों का उच्च स्तरीय समूह गठित किया था। यह समूह इसके बाद से अफगानिस्तान की तेजी से बदल रही परिस्थितियों पर रोजाना बैठक कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने समूह को पहले अफगानिस्तान में भारत की तात्कालिक प्राथमिकता तय कर उन पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है। इनमें सबसे ऊपर अफगानिस्तान में अब भी रह गए भारतीय नागरिक और भारतीय मूल के अफगान सिख व हिंदू अल्पसंख्यकों को वहां से निकालना है।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी तय समय से एक दिन पहले ही विदाई के बाद बने हालात पर भारत का उच्च स्तरीय समूह करीबी नजर रख रहा है। फिलहाल अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों और अफगान सिख-हिंदू अल्पसंख्यकों को निकालने की प्राथमिकता तय की गई है। साथ ही वहां की धरती के आतंकी उपयोग को लेकर भी नजर रखी जा रही हैं।
अफगानिस्तान में करीब दो दर्जन भारतीय और सौ के आसपास सिख-हिंदू अल्पसंख्यकों के अब भी फंसे होने का अनुमान है। इन्हें बाहर निकालने के लिए भारत बैकडोर चैनल का इस्तेमाल कर रहा है। फिलहाल 300 अमेरिकी और करीब सौ की संख्या में ब्रिटिश नागरिक अब भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। ये दोनों देश अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए राजनयिक अभियान का सहारा ले रहे हैं। भारत भी अब ऐसा ही करने जा रहा है और इन दोनों देशों के भी लगातार संपर्क में है।
इसके अलावा भारत रूस, कजाकिस्तान, ईरान समेत सभी क्षेत्रीय शक्तियों के भी कूटनीतिक संपर्क में है ताकि अफगानिस्तान की धरती का अपने खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने में उपयोग रोक सके। काबुल एयरपोर्ट अब तालिबान के नियंत्रण में है, जो इसे संचालित करने के लिए कतर सहित कुछ देशों से संपर्क कर रहा है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि एयरपोर्ट पर फिर से हवाई सेवा शुरू होने में अभी वक्त लगेगा।
