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BREAKING NEWS:vआज को होगा एलान, पाकिस्तान की जेल में आठ साल बंद रहा मुल्ला गनी बरादर करेगा नई सरकार का नेतृत्व, आखिर कौन है बरादर?

अफगानिस्तान: अफगानिस्तान में तालिबान अब शनिवार को यानि आज नई सरकार के गठन का एलान करेगा। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगान सरकार का नेतृत्व करेगा, यानी उसका अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बनना तय है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के गठन का एलान शुक्रवार को ही होना था। लेकिन अब इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दी। मुजाहिद ने कहा कि नई सरकार के गठन का एलान अब शनिवार को किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि अब तक कतर में तालिबान का राजनीतिक चेहरा बने बरादर को इस संगठन के सहसंस्थापक के तौर पर जाना जाता है। उसका कद तालिबान के मौजूदा प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदजादा के बाद सबसे बड़ा है। 1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में जन्मा बरादर शुरू से ही धार्मिक रूप से कट्टर था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का साला है। बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसी सेना को खदेड़ने के बाद अफगानिस्तान देश के प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया था।

बरादर ने अपने पूर्व कमांडर मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था। इसके बाद मुल्ला उमर और मुल्ला बरादर ने तालिबान की स्थापना की थी। 9/11 हमलों के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर धावा बोला तब तालिबान के सभी बड़े नेताओं को पाकिस्तान में पनाह मिली थी। इन नेताओं में मुल्ला उमर और अब्दुल गनी बरादर भी शामिल थे। बताया जाता है कि बरादर को पाकिस्तान ने फरवरी 2010 में पाकिस्तान के कराची में गिरफ्तार किया था। हालांकि, इसका खुलासा करीब एक हफ्ते बाद किया गया था। इसके बाद बरादर को अक्टूबर 2018 तक पाकिस्तान की जेल में रखा गया और बाद में अमेरिका के अनुरोध पर उसे छोड़ दिया गया। पाक सरकार उसे अमेरिकी एजेंट्स की पकड़ से दूर रखना चाहती थी।

हालांकि, कुछ अन्य रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अमेरिका बरादर को तत्कालीन अफगान सरकार से बातचीत के लिए मनाने की कोशिश में था। खुद बरादर भी अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार के साथ चर्चा के लिए तैयार था। माना जाता है कि अगर दोनों के बीच यह बातचीत हो जाती, तो इससे पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचता और उसे अफगान सरकार और तालिबान के बीच समझौते में कोई मौका नहीं मिलता। इसलिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बरादर को अगवा करा कर जेल में बंद करा दिया और तब तक जेल में बंद रखा, जब तक अमेरिका ने खुद उससे बरादर को छोड़ने की मांग नहीं उठाई।

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