वाराणसी: समाजसेवा के साथ शिक्षा, कला और खेल भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें काशी ने विश्वस्तर तक अपनी पहचान बनाई है। चार बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके डॉ. जगदीश पिल्लई ने आज उस पहचान को विश्वस्तर पर एक बार फिर पहचान दिलाई है लेखक, समाजसेवी व शोधकर्ता डॉ. जगदीश पिल्लई को अब तक उनके द्वारा किए गए सेवाओं के आधार पर उड़ीसा के महात्मा गांधी ग्लोबल पीस फाउंडेशन द्वारा महात्मा गांधी विश्व शांति पुरस्कार के साथ दो साल के लिए विश्व शांति दूत की उपाधि से नवाजा गया है।
डॉ. पिल्लई ने विश्व शांति पहल के तहत 2020 में लॉकडाउन के दौरान काशी के करीब 56 परिवारों के लोगों के साथ मिलकर 11551 बार ‘लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु’ हाथों से लिखकर विश्वभर के लोगों के सुख शांति के लिए प्रार्थना की थी। 11551 बार लिखा ‘लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु’ आदिकाल से ही भारत में प्रत्येक पूजा पाठ एवं अनुष्ठान के अंत में संपूर्ण विश्व की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।
इसके अलावा डॉ. पिल्लई द्वारा कन्याकुमारी से लेकर काशी तक के 101 लोगों के साथ मिलकर 21 भाषाओं में कोरोना योद्धाओं के सम्मान शुक्रिया नामक एक संगीतात्मक प्रस्तुति की थी। डॉ. पिल्लई की इस उपलब्धि पर उनके दोस्तों और शिष्यों ने उन्हें बधाई दी। वर्तमान में वो श्रीरामचरित मानस को विश्व के सबसे लंबे गीत के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की तैयारी में हैं।
