नौसेना कमांडरों का सम्मलेन: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरूवार को नौसेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति और रूस-यूक्रेन युद्ध से यह तय हो गया है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है और नौसेना को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाते हुए समुद्री व्यापार, सुरक्षा और राष्ट्रीय समृद्धि में योगदान देना चाहिए।
यहां उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष ने एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डाला है कि बाहरी निर्भरता के बिना आत्मनिर्भर होना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना आत्मनिर्भर भारत अभियान में अग्रिम मोर्चे पर रही है और इसे इसका नेतृत्व करना जारी रखना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि कमांडरों के पिछले सम्मलेन के बाद से आईएनएस विशाखापत्तनम समेत प्रमुख नौसेना इकाइयों को कमीशन करने के लिए मैं हमारी नौसेना की सराहना करता हूं। इनमें पी15बी प्रोजेक्ट का पहला जहाज, चौथी पी75 सबमरीन आईएनएस बेला और नौसेना का आईएनएस हंसा गोवा में दूसरा पी82 स्क्वाड्रन आईएनएएस 316 भी शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना भारत में विदेशी कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। पिछले चार दशकों में 45 से अधिक मित्र देशओं के 19 हजार से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत नौसेना ने अपने पूंजीगत बजट का 64 फीसदी से अधिक हिस्सा देश की अर्थव्यवस्था में ही निवेश किया है। उन्होंने कहा कि ऑर्डर पर मौजूद 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है।
