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कबाड़ से किया जुगाड़ : महज 15 साल की उम्र मे नौवीं कक्षा के एक छात्र ने कोरोना काल में किया कमाल, छात्र ने रॉयल इनफील्ड को बना दिया ई-बाइक, औसतन 40 किमी प्रतिघंटा की है चाल

कबाड़ से जुगाड़: सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले महज 15 साल की उम्र मे नौवीं कक्षा के एक छात्र को कलपुर्जों में काफी रुचि थी। उसने कबाड़ के कलपुर्जों के साथ कलाकारी कर ई-बुलेट बना डाली। उसने यह कमाल कर सभी को हैरान कर दिया है। करीब 45 हजार रुपये खर्च कर छात्र ने रॉयल इनफील्ड बाइक को ई-बाइक में बदला है, जो एक बार चार्ज करने पर 100 किलोमीटर तक चलेगी।

सुभाष नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के छात्र राजन को कलपुर्जों में काफी रुचि है। राजन के अनुसार, पहले लॉकडाउन में ई-साइकिल से प्रयोग शुरू किया, जो सफल नहीं रहा। उस वक्त वह साइकिल की स्पीड को नियंत्रित नहीं कर पाए। पहली बार ई-साइकिल की सवारी करते वक्त वह गिरकर बेहोश हो गए और चोट भी लगी। तब राजन के पिता दशरथ शर्मा ने उन्हें डांटकर ऐसा करने से मना कर दिया। कुछ दिन के लिए राजन ने ई-बाइक बनाने की रुचि को मन में दबा दिया। फिर उन्होंने घर में झूठ बोला कि उन्हें स्कूल से ई-बाइक बनाने का प्रोजेक्ट मिला है।

निजी कंपनी में काम करने वाले दशरथ शर्मा ने बताया कि राजन ने उन्हें बताया कि प्रोजेक्ट मिला है। तब उन्होंने उसकी मदद करने की सोची कि स्कूल का काम है। राजन ने उनसे कहा कि कोई पुरानी रॉयल एनफील्ड चाहिए। इसके बाद खोज शुरू हुई, लेकिन चेचिस नंबर के कारण इनफील्ड मिलने में परेशानी आ रही थी। काफी तलाश करने के बाद मायापुरी कबाड़ मार्केट से वह उन्हें 10 हजार रुपये में मिल गई। राजन ने बाइक तीन दिन में बनाई, लेकिन सामान एकत्र करने में उन्हें करीब एक माह लग गया। इस दौरान वह गूगल और यूट्यूब के माध्यम से ई-बाइक के बारेे में जानकारी लेते रहे। आसपास में बाइक ठीक करने वालों और वेल्डिंग करने वालों के पास बैठ कर चीजें देखते समझते रहे।

औसतन 40 किमी प्रतिघंटा की है चाल
बाइक मिलने के बाद बैटरी मिलने में भी काफी समस्या आई। जैसे-तैसे फरीदाबाद से 13,500 रुपये में बैटरी खरीदी। इस पर एक साल की वारंटी मिली। इसमें 24 वॉल्ट का चार्जर लगाया गया है, जिसे घर पर ही चार्ज किया जा सकता है। ई-बाइक की स्पीड 40 किलोमीटर प्रतिघंटा है, हाइवे पर इसकी स्पीड बढ़ जाती है। बाइक चलाने पर बैटरी गिर ना जाए, इसके लिए उसके बाहर लकड़ी का बॉक्स लगाया गया है। बाइक के प्रति राजन के जुनून को देखते हुए लगा कि बेटा कुछ कमाल ही करेगा। तीन भाइयों में सबसे बड़े राजन पढ़ने में भी काफी अच्छे हैं। आठवीं में उन्हें 84 फीसदी अंक प्राप्त हुए हैं।

– दशरथ, राजन के पिता ने बताया कि जब राजन ने बताया था कि वह ई-बाइक बनाना चाहता है। मुझे भी आइडिया अच्छा लगा तो मैंने उसे प्रोत्साहित करना शुरू किया। सबसे बड़ी बात यह है कि लॉकडाउन और साधन कम होने के बावजूद उसने यह कमाल किया है। अब राजन की ई-कार बनाने की इच्छा है।

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