कानपुर के शिवाला में रावण का मंदिर है जो सिर्फ विजय दसवीं के दिन ही खुलता यहां रावण के जन्मों उत्सव के रूप में 1 दिन के लिए यह मंदिर खोला जाता है तथा रावण दहन के मुहूर्त के बाद यह पूरे 1 वर्ष के लिए बंद कर दिया जाता है। यहां रावण की पूजा एक विद्वान के रूप में होती है कहां जाता है रावण चारों वेदों का ज्ञाता था जब वह पूजा करता था तो भगवान विष्णु अपनी चारों भुजाओं से उसकी रक्षा करते थे ब्रह्माजी द्वारा वेदों का उच्चारण होता था तथा भगवान शिव शंकर भोलेनाथ स्वयं प्रकट होकर पूजा में उपस्थित होते थे।
बता दें कि कानपुर के शिवाला में स्थित देश के एकलौते दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा अर्चना करने के लिए आते है। आइए जानते है किस तरह होती है रावण की पूजा अर्चना। यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है और लोग सुबह-सुबह यहां रावण की पूजा करते हैं। दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं।
