गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वैदिक काल से हमारे यहां आरोग्य को सर्वाधिक महत्व दिया जाता रहा है. किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए शरीर पहला साधन होता है. योग के माध्यम से सामाजिक जागरण का अलख जगाने वाले महायोगी गोरखनाथ ने कहा है, ‘यदे सुखम तद स्वर्गम, यदे दुखम तद नर्कम’. राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही शरीर को स्वस्थ रखने की कई पद्धतियां प्रचलित रही हैं, इन्हें सामूहिक रूप में आयुष कहते हैं.
गौरतलब है कि इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है, पहला सुख निरोगी काया. गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा है, बड़े भाग मानुष तन पावा. मानुष तन को निरोगी रखने में आयुष महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह कहते हुए प्रसन्नता जताई कि महायोगी गोरखनाथ के नाम पर आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही है और जल्द ही इससे संबद्ध होकर उत्तर प्रदेश में आयुष के सभी संस्थान और बेहतर कार्य कर सकेंगे.
