दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी: दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर 50 रुपये के सिक्के जारी करने संबंधी नीति बनाने का निर्देश केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को देने का अनुरोध किया गया है। जिससे देश में दृष्टिबाधित नागरिकों को भी समान अवसर मिले और व्यापार करने में सुगमता हो।
लंबित याचिका में अर्जी दाखिल करते हुए अधिवक्ता रोहित दंडरियाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अधिकारियों को 50 रुपये की नई मुद्रा को वापस लेने का निर्देश दें। दृष्टिबाधितों को उसके आकार और स्पर्श कर पता चलने वाले निशानों की वजह से पहचानने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने कागजी मुद्रा की डिजाइन और विभिन्न मूल्यों को पता करने में दृष्टिबाधितों को होने वाली समस्या और असमानता का अध्ययन किया है। अर्जी में कहा गया, ‘प्रतिवादी (सरकार और आरबीआई) ने दृष्टिबाधितों के लाभ लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और 1, 2, 5, 10 और 20 रुपये के सिक्के जारी किए हैं।
वहीं, कागजी मुद्रा में 1, 2, 5, 10, 20, 100, 200, 500 और 2000 रुपये मूल्य के नोट दृष्टिबाधितों के अनुकूल हैं जबकि 50 रुपये के नोट में ऐसा नहीं है। 50 रुपये मूल्य के सिक्के भी उपलब्ध नहीं हैं। उच्च न्यायालय ने इससे पहले सरकार और आरबीआई से नई कागजी मुद्राओं और सिक्कों की जांच के लिए कहा था।
अदालत ने पाया कि दृष्टिबाधित को उन्हें पहचानने में मुश्किल हो रही है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने याचिका पर सुनवाई के लिए 25 फरवरी 2022 की तारीख तय की है।
