यूपी चुनाव मिशन: इस समय हिंदू और हिंदुत्व के खिलाफ दुनिया भर में एक वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास के बीच यूपी चुनाव से पूर्व वाराणसी में दिसंबर में संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है। हम इस आयोजन के जरिये अपने आलोचकों को सनातन धर्म की विशेषताओं से अवगत कराएंगे।
इसमें सनातन धर्म के चुनिंदा विद्वानों, धर्माचार्यों और नेताओं की जमघट होगी। गंगा महासभा द्वारा दिसंबर में होने वाले तीन दिवसीय सम्मेलन में सनातन धर्म की विशेषताओं, चुनौतियों और भावी योजनाओं पर चर्चा होगी। संस्कृति संसद के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है। तीन दिन के सम्मेलन में करीब चार सौ हस्तियां हिस्सा लेंगी।
कार्यक्रम में शंकराचार्यों, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, संघ और विश्व हिंदू परिषद के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे। गंगा महासभा के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संस्कृति संसद के जरिये हम सनातन धर्म में सुधार पर चर्चा के साथ अमेरिका में हिंदू विरोधी कार्यक्रम करने वालों को जवाब भी देंगे।
संस्कृति संसद में बारह अलग-अलग सत्र होंगे। इसमें पहला सत्र सनातन धर्म के अनुत्तरित प्रश्न विषय पर होगा। हिंदू संस्कृति पर दो हजार सालों तक लगातार हमले हुए। संस्कृति संसद में उपासना स्थल अधिनियम 1991 पर भी चर्चा होगी। अंतिम सत्र में धर्मनिरपेक्षता पर विस्तार से चर्चा होगी, यह कार्यक्रम 12 से 14 दिसंबर के बीच होगी। गौरतलब है कि अगले साल फरवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में धर्म निरपेक्षता आदि विषयों पर सामने आने वाली राय की वृहद चर्चा होगी।
