केन बेतवा लिंक परियोजना: देश के कई हिस्सों को प्रभावित करने वाली जल संकट की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार नदियों को जोड़ने वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना लेकर आई है। इसमें केन बेतवा लिंक परियोजना के तहत पूरे इलाके में नदियों को जोड़ने के रोड मैप के साथ पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के लिहाज से विस्तृत कार्ययोजना को तैयार किया है।
केन बेतवा लिंक के वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्राणवायु बनने को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के लिए एकीकृत लैंडस्केप प्रबंधन योजना की अंतिम रिपोर्ट जारी की। इसे वन्यजीव संस्थान डब्ल्यूआईआई द्वारा तैयार किया गया है। डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक डॉक्टर रमेश प्रधान के नेतृत्व में परियोजना दल ने उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग किया।
उन्होंने दोनों नदियों और उनके आसपास के पूरे इलाके का व्यापक परिदृश्य अध्ययन और डाटा विश्लेषण किया। साथ ही प्रस्तावित गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए विस्तार पूर्वक प्रत्येक साइड का इनपुट भी एकत्र किया जिसमें बाघ, गिद्ध और घड़ियाल जैसी प्रमुख जातियों के संरक्षण और उन्हें आवास के साथ-साथ बेहतर प्रबंधन देने के लिए भी इस एकीकृत प्लान में व्यापक प्रावधान किए गए हैं।
दिल्ली में एक समारोह में इसे जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार ने जारी किया है। इसमें स्थानीय परिदृश्य में जैव विविधता संरक्षण और मानव कल्याण के साथ रोजगार सृजन के विशेष जोर दिया गया है। इसके अलावा वन आश्रित समुदायों को समायोजित करने के लिए इसके तहत विशेष रूप से प्रावधान किए गए हैं।
इसके अलावा इस कार्य योजना में वन्यजीव संरक्षण के लिए भी विशेष प्रयास किये गए हैं। इसमें मध्यप्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य, उत्तर प्रदेश के रानीपुर वन्य जीव अभयारण्य के मध्य संपर्क मार्ग बनाकर एक ऐसे कॉरिडोर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसकी मदद से तीन सेंचुरी में बाघ संरक्षण के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध हो सकेगा।
