ब्रिटेन के आर्म्ड फोर्स मंत्री जेम्स हीपी ने गुरुवार को सुबह ही अपने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें पहले ही वो लाइनें लिख कर भेज दी गई थीं, जो काबुल एयरपोर्ट पर हमला होने के बाद उन्हें मीडिया के सामने पढ़नी थीं। बता दें कि अमेरिका और ब्रिटेन ही नहीं, NATO देशों की सेनाओं को भी आतंकवादी हमले का अलर्ट 24 घंटे पहले ही मिल गया था। इन पश्चिमी देशों ने ये जानते हुए हजारों अफगान नागरिकों को बाहर छोड़ दिया, जहां हमले की सूचना इन्हें पहले ही मिल गई थी।
हालांकि इस इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन ISIS-खुरासान ने ली है। ये आतंकवादी संगठन ISIS की ही एक शाखा है और इसमें खुरासान का मतलब गजवा ए हिंद से है। ये संगठन तालिबान से भी ज्यादा कट्टर इस्लाम में विश्वास रखता है और मानता है कि असली जेहाद वो कर रहा है, तालिबान नहीं। इसलिए इस आतंकवादी संगठन द्वारा किए गए इन हमलों के पीछे दो मकसद हो सकते हैं। फिलहाल ये अफगानिस्तान का दुर्भाग्य ही है कि आतंकवादियों के बीच की इस लड़ाई में वहां के लोग मारे जा रहे हैं और पूरी दुनिया बेशर्मी से ये सब होते हुए देख रही है।
