वाराणसी: वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर बीते दो दिनों से गिरावट के बाद एक बार फिर तेजी से बढ़ा है। जिसके चलते महाश्मशान मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह के चैंबर डूब गए हैं। इससे गलियों और छत पर दाह संस्कार शुरू कराया गया है। प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर शीतला मंदिर परिसर में भी गंगा का पानी डूबने के करीब है। अस्सी घाट की गंगा आरती गलियों में हो रही है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट के शवदाह स्थल अब भी गली और छत ही बने हुए हैं। फिलहाल नौका और क्रूज के संचालन भी बंद है।
बुधवार को गंगा का जलस्तर 69.19 मीटर पहुंच गया। जलस्तर के बढ़ाव और घटाव के बीच तटवासियों की हालत खस्ता हो चुकी है। खासकर वरुणा के पानी से घिरे निचले इलाकों की आबादी जहां पीछे हटता पानी गंदगी और गाद का ढेर छोड़ रहा है। इसके कारण वहां संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा बन गया है। इधर गंगा घाटों पर भी मिट्टी और गाद का अम्बार लगा हुआ है। बदबू और कचरे ने तटवर्ती इलाकों के लोगों की दुश्वारिया बढ़ा दिया है।
वहीं, पानी से घिरने के कारण लगातार नमी सोखने से तटवर्ती इलाकों के मकानों की दीवारों पर दरारें पड़ने लगी हैं। दूसरी ओर गंगा द्वारा बहाकर लाई गई जलकुंभी, कचरा और गाद काफी मात्रा में जमा हो रहे हैं। साथ ही मच्छर जनित रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में गंगा किनारे कई किसानों के खेतों में कटान तेजी से हो रहा, तो किसी के धान की फसल गंगाजल से मग्न हो गई है। लोगों का कहना है कि जब तक पानी पूरी तरह से घाटों और बस्तियों को छोड़ नहीं देता, तब तक साफ-सफाई भी कराना मुश्किल है।
