बीजिंग। चीन में रहने वाले शादीशुदा जोड़ों को वहां की सरकार ने तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी है, अभी तक चीन में सिर्फ दो बच्चों को ही जन्म देने की इजाजत थी। इस फैसले के पीछे तर्क दिया जा रहा है की, ऐसा करने से सामाज में बैलेंस बनाने में मदद मिलेगी। लेकिन ऐसी आशंका भी जताई जा रही है की, इस फैसले के बाद कार्यक्षेत्रों में भेदभाव बढ़ने की संभावना है।

दरअसल पिछले महीने जारी हुए जनसंख्या के आंकड़ो ने सरकार को चिंता में डाल दिया था, क्योंकि चीन की 1.4 अरब की आबादी मुश्किल से बढ़ रही है और जन्मस्तर भी महज़ प्रति महिला 1.3 बच्चों पर ही रुका हुआ था। जो आने वाले भविष्य के लिए खतरे का संकेत है। साल 2016 में जो बच्चों को जन्म देने की अनुमति के बाद से अभी तक उस फैसले का कोई खास प्रभाव नहीं दिखाई दिया। अब उम्मीद की जा रही है की, इस फैसले के बाद कुछ बदलाव नजर आएगा।

चीनी सरकार ने संकेत दिए हैं की तीन बच्चों के जन्म पर जोर देने के लिए, वो टैक्स और हाउसिंग में छूट को लेकर कुछ फैसले कर सकते हैं। लेकिन आंकड़े बताते है कि सरकार के इस तरह के फैसले ज्यादा प्रभावकारी नहीं होते। विश्व बैंक के आंकड़ो के हिसाब से साल 2018 में चीन ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर सकल घरेलू उत्पाद का केवल तीन फीसद शामिल किया था, जो की बहुत ही कम है। साथ ही शिक्षा पर बजट भी लगभग चार फीसद रहा है।

हमेशा से ही देखा गया है की चीन में व्यापार और सरकार में महिलाओं का योगदान बहुत कम रहा है। साल 1990 से चीन के कामकाज में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट ही दर्ज की गई है, वहीं साल 2019 में सामने आया था की चीन की शीर्ष कंपनियों में 10 फीसद से कम महिलाएं ही उच्चे पदों पर हैं। साथ ही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में चीन ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के निचले तीसरे स्थान पर है। 2018 में ह्यूमन राइट्स वॉच के एक सर्वे से पता चला था कि सिविल सेवा की 19 फीसद नौकरियों में पुरुषों को ही प्राथमिकता दी गई है।

चीनी सरकार ने इन सभी दिक्कतों के नजर अंदाज करते हुए, जन्मस्तर को बढ़ाने का फैसला किया है। चीन में कई जगहों पर नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं की फैमिली प्लानिंग को लेकर भेदभाव किया जाता है, ताकि महिलाओं को गर्भधारण करने के दौरान दी जाने वाली छुट्टी से बचा जा सके। हालांकि, ये काम अवैध लेकिन ऐसा करने पर सजा का प्रावधान बहुत ही कम है। ऐसा अनुमान है की अगर चीन में जन्मस्तर में बढ़ोतरी नहीं होती है, तो सरकार के तरफ से सख्त आदेश भी जारी किए जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में चीन की कामकाजी महिलाओं के लिए कठिनाई और बढ़ सकती है।

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