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कोरोना के स्रोत को खोजें

नई दिल्ली. अमेरिकी अधिकारियों ने बड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर हमने कोरोना की उत्पत्ति का पूरी तरह पता नहीं लगाया तो दुनिया को भविष्य में कोविड-26 और कोविड-32 जैसी महामारी के लिए तैयार रहना होगा।
अधिकारियों के मुताबिक, जानवरों से कोरोना वायरस की थ्योरी वैश्विक स्तर पर लोगों को संतुष्ट करने में नाकाम रही है। लिहाजा उस पर वायरस उत्पत्ति की जांच के लिए ज्यादा पारदर्शिता दिखाने का दवाब बनाना होगा। दरअसल, चीन के वुहान सीफूड मार्केट में वायरस मिलने के करीब डेढ़ साल बाद भी इसकी सही उत्पत्ति का पता नहीं चला है।
टेक्सास के चिल्ड्रंस हॉस्पिटल सेंटर फॉर डेवलपमेंट के सहनिदेशक और बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के पीटर होट्ज ने कहा है, हमें कोरोना की उत्पत्ति को ठीक ढंग से समझना जरूरी है। इसका जवाब पाने के लिए दुनिया को नई खोजबीन करनी होगी।

स्वतंत्र वैज्ञानिकों, महामारी विशेषज्ञ और वायरस विशेषज्ञों की टीम को चीन में 6 महीने या साल भर के लिए काम करना होगा। वायरस की जांच के लिए चीनी वैज्ञानिकों के साक्षा

फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के पूर्व प्रमुख स्कॉट गॉटिलिब का कहना है कि वायरस के लैब से फैलने के पक्ष में तर्क मजबूत होते जा रहे हैं और जानवर से उत्पत्ति का पक्ष सिकुड़ गया है। हमने वायरस को लेकर गहन पड़ताल की है लेकिन इंसानों में प्रवेश से पहले किस जानवर में यह पहुंचा, इसका सुबूत अब तक नहीं मिला है।
गॉटलिब का कहना है कि चीनी सरकार खुद को निर्दोष साबित करने के लिए वायरस के वुहान लैब से लीक होने के पक्ष में मजबूत साक्ष्य पेश कर सकती थी लेकिन वह आज तक ऐसा नहीं कर पाई।

लैब में क्या चल रहा था, जानना जरूरी
चीन लैब स्टॉफ के रक्त नमूने दे सकता था पर उसने इंकार कर दिया। उसने वायरस के मूल स्वरूप (स्ट्रेन) की जानकारी नहीं दी। न ही शुरुआती मामलों के सैंपल मुहैया कराए और वहां लैब के भीतर क्या चल रहा था, यह भी छुपाए रखा। सरकार से लेकर प्रयोगशाला से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल से ही गुत्थी को सुलझा सकते हैं।

ऐसे में वायरस के लैब से निकलने की संभावनाओं को समझना बेहद महत्वपूर्ण है। डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मैथ्यू पॉटिंजर ने भी वायरस लीक की जांच पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अब तक सामने आई खुफिया जानकारियां भले पुख्ता न हों, पर उनमें कोरोना के लैब से लीक होने की ज्यादा संभावना दिखी है।

इससे ज्यादा हो सकते हैं वायरस
भारतीय विशेषज्ञों का भी कहना है कि अगर कोरोना वायरस की उत्पत्ति का रहस्य पूरी दुनिया के सामने नहीं आया तो भविष्य में कोविड-26 या कोविड-32 नहीं बल्कि इससे ज्यादा तरह के वायरस भी हो सकते हैं। जोकि शायद कोविड-19 से भी अधिक तबाही मचाने की क्षमता रखते हों।

स्वास्थ्य अर्थशास्त्री प्रोफेसर रिजो एम जोन का कहना है कि कोरोना वायरस के मामले में अमेरिका के साथ भारत समेत दुनिया के अन्य देशों को भी सख्त होना चाहिए। बड़े-बड़े देशों के लिए एक साथ होने से न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय दबाव बनेगा, बल्कि चीन के वुहान में छिपे वो रहस्य भी सबको पता चलेंगे जिनके बारे में जानना हम सभी का अधिकार है।

 

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