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क्या एक ही समय पर दो भारतीय टीमें और भी मैच खेलेंगी? जानिए कप्तान विराट कोहली की अहम राय

मुंबई। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने बुधवार को संकेत दिया कि कोरोना महामारी के बीच क्रिकेटर जिस तरह मानसिक रूप से थकाऊ बायो-बबल (कोरोना से बचाव के लिए बनाया गया सुरक्षित माहौल) में रहने को मजबूर हैं, उसे देखते हुए आने वाले समय में दो अलग-अलग जगहों पर दो भारतीय टीमों का एक समय पर खेलना आम बात हो जाएगी।

कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने रवाना हुई। वहीं, दूसरे दर्जे की भारतीय टीम जुलाई में सीमित ओवरों की सीरीज खेलने श्रीलंका जाएगी। इस तरह लगभग एक समय पर दो टीमें देश के लिए खेलती नजर आएंगी।

उधर, कोहली ने कहा कि खिलाड़ियों को कार्यभार प्रबंधन ही नहीं, बल्कि बायो-बबल से होने वाली मानसिक थकान से रिकवरी के लिए भी ब्रेक की जरूरत है। उन्होंने कहा, “मौजूदा ढांचे और लंबे समय से जिस तरह के ढांचे में हम खेल रहे हैं, उसमें खिलाडि़यों का जोश बनाए रखना और मानसिक ठहराव को पाना मुश्किल है। आप एक ही इलाके में कैद रहते हैं और रोज एक सी दिनचर्या रहती है। ऐसे में भविष्य में दो टीमों का एक समय पर अलग-अलग जगहों पर खेलना आम बात होगी।”

दुनिया भर के खिलाड़ियों ने बायो-बबल में रहकर टूर्नामेंट खेलने की चुनौतियों के बारे में बात की है। कोहली ने कहा, “कार्यभार के अलावा मानसिक स्वास्थ्य का पहलू भी अहम है। आज के दौर में जब आप मैदान पर जाते हैं और कमरे में लौटते हैं तो आपके पास ऐसी कोई जगह नहीं होती कि आप खेल से अलग हो सकें। आप घूमने या खाने या कॉफी के लिए बाहर जा सकें और कह सकें कि मैं तरोताजा हो सकूं। यह बड़ा पहलू है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। हमने यह टीम बनाने में काफी मेहनत की है और हम नहीं चाहते कि मानसिक दबाव के कारण खिलाडि़यों पर असर पड़े।”

कोहली ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं को देखकर खिलाडि़यों के ब्रेक मांगने का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, “हमेशा एक ऐसा माध्यम होना चाहिए जिसके तहत खिलाड़ी प्रबंधन से कह सकें कि उन्हें ब्रेक की जरूरत है। यह बड़ा पहलू है और मुझे यकीन है कि प्रबंधन इसे समझता है।”

वहीं, कोच रवि शास्त्री ने कहा कि मौजूदा कार्यक्रम और क्वारंटाइन ने खिलाडि़यों का काम मुश्किल कर दिया है। उन्होंने कहा, “बात सिर्फ डब्ल्यूटीसी की नहीं है, बल्कि छह सप्ताह में इस माहौल में पांच टेस्ट खेलने हैं जो मजाक नहीं है। सबसे फिट खिलाड़ियों को भी ब्रेक की जरूरत होगी। मानसिक पहलू को अनदेखा नहीं कर सकते।”

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