गुहार: रोहनिया के कुरूहुआं के काशीपुर गांव निवासी विजय शंकर पांडेय का परिवार पिछले छह साल से हुकुलगंज में रह रहा है। 17 फरवरी 2019 को श्रीनगर में पेट्रोलिंग के दौरान वायुसेना का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था और पायलट विशाल पांडेय शहीद हो गए थे।
इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ विशाल का शव बनारस लाया गया। पत्नी माधवी को लखनऊ में सरकारी नौकरी मिली और सेना की ओर से बड़ी धनराशि भी मिली। हालांकि इसके बाद से माधवी शहीद विशाल के माता-पिता से संपर्क में नहीं है।
पिता विजय शंकर पांडेय ने बताया कि पड़ोसी पूछते हैं कि पांडेय जी, शहीद विशाल की मूर्ति कब लगेगी। उनके नाम से सड़क बनेगी या नहीं। गेट का नाम भी विशाल के नाम पर रखा जाना था। यह सब कब होगा। इन प्रश्नों पर एकदम निरुत्तर हो जाता हूं। पिछले डेढ़ साल से गुहार लगाकर थक गया हूं। दौड़ भाग के दौरान मंत्री, विधायक केवल आश्वासन देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनसंपर्क कार्यालय में भी कई बार पत्र दिया, लेकिन अब तक किसी ने कोई सुध नहीं ली। पिता विजय शंकर पांडेय ने बताया कि स्मारक और मूर्ति बनवाने की फाइल सिर्फ टेबल-टेबल घूम रही है।
