अक्षय नवमी: हिंदू धर्म के सबसे बड़े अनुष्ठानों में एक अक्षय नवमी को भी माना गया है। अक्षय नवमी के दिन किए दान या किसी धर्मार्थ कार्य का लाभ व्यक्ति को वर्तमान और अगले जन्म में प्राप्त होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन सतयुग प्रारंभ हुआ। इसके साथ ही एक अन्य कल्प में इसी दिन त्रेतायुग का भी प्रारंभ हुआ था। इस दिन को किसी भी पुण्य कार्य के लिए अनुकूल और शुभ समय माना जाता है।

अक्षय नवमी आज यानी शनिवार को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा एवं इसके नीचे भोजन बनाने व ग्रहण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण औरअन्नादि के दान से अक्षय फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण के पूजन का भी विधान है।

इस दिन सुबह उठकर स्नानादि के बाद दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प आदि लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद धात्री वृक्ष (आंवले) के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुखकर बैठें। ‘ऊॅ धात्र्यै नम:’ मंत्र का जप करते हुए षोडशोपचार पूजन कर आवंले के वृक्ष की जड़ में दूध से जलाभिषेक करते हुए पितरो का तर्पण करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *