रक्षामंत्री: रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आवश्यकता पर अपने विचार साझा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह न केवल घरेलू क्षमता का निर्माण करने के लिए बल्कि देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए भी आवश्यक है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक संक्रमणकालीन दौर देख रहा है।
उन्होंने कहा कि रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि उनकी कंपनिया दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से हैं। रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, राजनाथ सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।
उन्होंने विश्वास जताया कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) 70-80 प्रतिशत के योगदान के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे। उन्होंने सीएमडी (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक) और एनओडी (गैर-आधिकारिक निदेशक) से काम करने का आग्रह किया। और कहा कि उनकी कंपनियों को विभिन्न क्षेत्रों में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में जगह मिले।
रक्षामंत्री ने आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों को सूचीबद्ध किया, जिसमें रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 के तहत रक्षा उपकरणों और प्लेटफार्मों की अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाना, स्वचालित और सरकारी मार्ग के तहत एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत तक और 100 प्रतिशत तक बढ़ाना शामिल है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि दुनिया की मौजूदा स्थिति और रूस-यूक्रेन युद्ध से यह तय हो गया है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है और नौसेना को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाते हुए समुद्री व्यापार, सुरक्षा और राष्ट्रीय समृद्धि में योगदान देना चाहिए।
