दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी, 2020 में हुए दंगों से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, दिल्ली दंगों के दौरान भड़काऊ बयान के मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान दिए गए कथित घृणास्पद भाषणों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग याचिका पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस नेताओं ने इसे खारिज करने का आग्रह किया है।
उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विपक्ष के प्रमुख नेता होने के नाते देश के नागरिकों के लिए उनका मौलिक कर्तव्य है कि वे सत्तारूढ़ सरकार द्वारा पेश किए गए बिलों की आलोचना करें। ऐसे में इसे भड़काऊ भाषण नहीं माना जा सकता। कांग्रेस नेताओं ने एनजीओ लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष अपना जवाब दाखिल किया।
याचिका में मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र एसआईटी के गठन की भी मांग की गई है। अदालत ने पहले संबंधित राजनीतिक नेताओं के पक्ष में याचिका दायर करने की अनुमति दी थी। कांग्रेस के दोनों नेताओं ने अदालत से कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153बी (राष्ट्रीय-एकीकरण के लिए पूर्वाग्रही आरोप) के तहत उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है और उन्हें चुनिंदा तरीके से उठाया गया है।
