किसान आंदोलन: दस दिनों से आंदोलित पंजाब के किसानों का आंदोलन हरियाणा सीमा पर कमजोर पड़ने लगा है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली कूच का कार्यक्रम फिलहाल 29 फरवरी तक टाल दिया है। 24 फरवरी यानि आज शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान कैंडल मार्च निकालेंगे।
शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन की धार कमजोर पड़ने लगी है। शंभू मोर्चा पर किसानों की संख्या कम हो रही है, किसान नेताओं का यह भी कहना है कि किसानों की संख्या कम नहीं हो रही बल्कि वह खनौरी बॉर्डर की ओर शिफ्ट हो गए हैं। किसान अब सीधे टकराव से बचना चाह रहे हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवण सिंह पंधेर ने बताया कि खनौरी बॉर्डर पर शुभकरण व अन्य किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए शनिवार 24 फरवरी को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर कैंडल मार्च निकाला जाएगा। 25 फरवरी को दोनों बॉर्डर पर युवा और तमाम किसान संगठनों के लिए सेमिनार होगा, जिसमें किसानी और खेतीबाड़ी से जुड़े बुद्धिजीवियों को बुलाया जाएगा। 26 फरवरी को ट्रैक्टर मार्च के बाद दोपहर बाद शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पीएम मोदी और हरियाणा के सीएम के अलावा कॉरपोरेट घरानों के करीब 20 फुट ऊंचे पुतले फूंके जाएंगे।
27 को संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा आपसी चर्चा करेंगे। 28 को दोनों एक मंच पर आकर अपनी मांगों पर बातचीत होगी। 29 फरवरी को दिल्ली कूच को लेकर फैसला लिया जाएगा। किसान नेता ने कहा है कि अगर नौजवान ही नहीं रहेंगे तो जमीनों का क्या करेंगे। हालांकि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सभी किसान संगठन सरकार के खिलाफ अपना शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जारी रखेंगे।
बता दें कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक MSP पर गतिरोध बरकरार है। सरकार ने MSP को लेकर एक फॉर्मूला दिया था, जिसे किसानों ने नामंजूर कर दिया।
