महराजगंज ( आज ):- दरअसर सरकार वेंटिलेटर पर पड़े स्वास्थ्य विभाग को स्वस्थ करने के लिए तमाम व्यवस्थाएं कर रही हैं। सरकार सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स को बाहर का दवा न लिखने की नसीहत दे रहे हैं। अधिकारी जिले में पर्याप्त दवाओं का दावा कर रहे हैं।
लेकिन जिला अस्पताल में एक ऐसा डॉ हैं ,जो अपने ड्राइवर व दलालों को अपने साथ रखता है और उनके माध्यम से बाहरी दवा लिखवा कर अपना जेब भरता हैं । जिस जगह ये डॉ अरुण कुमार सिंह बैठते हैं वही से 50 कदम दूरी पर सीएमएस भी बैठते हैं ।सवाल ये की आखिरकार बिना अधिकारियों के सह पर ये कैसे संभव हैं। अरुण कुमार सिंह स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। जो जिला अस्पताल में लंबे समय से तैनात हैं। सोमवार को कुछ लोग अरुण कुमार सिंह को दिखाने बाहर खड़े थे ।
गरीबी लाचारी के नाते वह जिला अस्पताल की ₹1 की पर्ची पर कतारों में खड़े होकर अपने न० का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान अरुण सिंह के पास मौजूद दो दलाल जो प्रतिदिन अरुण सिंह के इर्द-गिर्द ही रहते हैं। वह सरकारी पर्ची के मरीजों को यह कहते देखे गए कि यदि आप प्राइवेट में दिखाएंगे तो डॉक्टर साहब अच्छा दवा देंगे लोग उस दलाल के बातों में आकर सरकारी टाइमिंग पर अतिरिक्त पैसा देकर डॉक्टर अरुण को के लिए तैयार हुए तो उन्हें बिना नंबर लगाए डॉक्टर द्वारा पाले गए दलाल को आसानी से डॉक्टर देख लेते हैं ।इतना ही नहीं डॉक्टर अपने सेटिंग की दवा भी लिखते हैं जो फोटो में दिख रहा है। सूत्रों की माने दवाओं के एमआर भी डॉ के पास बैठे रहते हैं। जो डॉ के सहयोग से सेटिंग की दवाईया लिखवा भी लेते हैं। यह जिला अस्पताल में कोई पहला मामला नहीं है जबसे सीएमएस ए०के० राय ने चार्ज संभाला है, तब से दलालों के दलदल में जिला अस्पताल फंसते जा रहा है. और सीएमएस ,सीएमओ सिर्फ जांच की बात कर पल्ला झाड़ते हैं। जिला अस्पताल का ये तब मामला उजागर हुआ जब कुछ लोग अरुण कुमार सिंह को दिखाने पहुंचे थे .जब उनके सब्र का बांध टूटा तो मजबूरन डॉक्टर के सामने आकर वीडियो बनाने लगे।
जब वीडियो बने लगा तो डॉक्टर साहब को मानो सांप सूंघ गया। वही हड्डी रोग विशेषज्ञ एक डॉक्टर के द्वारा यह गए कई मरीजों का ऑपरेशन जो अर्थों वार्ड में भर्ती थे वहां पूछने पर पता चला कि डॉक्टर के द्वारा मरीजों से नौ हजार,दस हजार, 12 हजार तक पैसे लिए गए हैं! मरीजों से पूछने पर उनके पास से डॉक्टर साहब के द्वारा दिए गए इन प्लांट की पर्ची मिली जो किसी प्राइवेट दुकान से मंगवाई गई थी! अब सवाल यह उठता है कि जिला अस्पताल में गए गरीब मरीजों के साथ अगर इस तरह से धन उगाही करते रहे तो इस भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी किसकी होगी!