दिल्ली : दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने 2.64 लाख से अधिक डीजल वाहन, डी रजिस्टर करने से सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे। सड़कों पर न उतरने से वाहनों के जाम से राहत के साथ साथ वायु प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार के साथ साथ वाहनों के जाम की समस्या भी कम होगी।
दिल्ली सरकार ने एनजीटी की ओर से जारी आदेश के बाद एक जनवरी से इसे सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत वाहनों का पंजीकरण रद्द करने के बाद सड़कों पर वाहन नहीं उतारे जा सकेंगे। बावजूद इसके अगर नियमों की अनदेखी की जाती है तो इन वाहनों को जब्त कर स्क्रैप कर दिया जाएगा।
मियाद पूरी कर चुके डीजल वाहनों पर एक जनवरी, 2022 से कार्रवाई के साथ ही दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने वाहन मालिकों को राहत देने के लिए कई विकल्प भी दिए हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट(सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी के मुताबिक सरकार के इस कदम में दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण में काफी हद तक कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि बीएस-3 डीजल वाहनों से मौजूदा बीएस-6 वाहनों की तुलना में 10 गुना से भी अधिक प्रदूषण होता है। इससे नाइट्रोजन ऑक्साईड सहित कई जहरीली गैस महीन धूलकणों का उत्सर्जन होता है। वाहनों के सड़कों से हटने से प्रदूषण स्तर में काफी सुधार होने की उम्मीद है।
वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक रेट्रो फिटमेंट का विकल्प दिया गया है। इसके तहत पुराने डीजल वाहनों में भी परिवर्तित करने के बाद वाहनों से होने वाला उत्सर्जन शून्य हो जाएगा। 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों में इलेक्ट्रिक किट की रेट्रो फिटमेंट के बाद इन वाहनों को दोबारा सड़कों पर उतारा जा सकेगा। इससे वाहन मालिकों की बचत होगी और वाहनों को स्क्रैप करने की बजाय दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा।
