सियासत: गुरुवार को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा समर्थन के लिए लखनऊ पहुंचे थे। इस बीच समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के बीच चल रहा मनमुटाव सामने आ गया है। दोनों के बीच चल रही आंतरिक रार अब दीवार बनती नजर आ रही है।
यशवंत सिन्हा वह सपा कार्यालय में विधायकों से मिले। सपा विधायकों के साथ रालोद के विधायक भी सपा कार्यालय पहुंच गए हैं। रालोद विधायकों को लेकर जयंत चौधरी भी सपा कार्यालय में पहुंचे, लेकिन सपा के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इसको लेकर ओपी राजभर ने नारजगी भी जाहिर की है। लखनऊ में सुभासपा के विधायक मौजूद थे, लेकिन वे सपा कार्यालय में आयोजित बैठक में नहीं पहुंचे। जबकि जयंत चौधरी रालोद विधायकों को लेकर खुद पहुचे थे।
समाजवादी पार्टी (सपा) के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लखनऊ आने पर अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि …हो सकता है कि अब उनको (अखिलेश यादव) हम लोगों की जरूरत नहीं है। सपा अध्यक्ष को जयंत चौधरी की जरूरत है। अब मेरी जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव पर कल के बाद फैसला लेंगे।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लखनऊ आने पर सपा कार्यालय में विधायकों की बैठक बुलाई गई। सूत्र बताते हैं कि सपा कार्यालय से सुभासपा और रालोद के शीर्ष नेतृत्व को भी बैठक में आने के लिए कहा गया, लेकिन बाद में सुभासपा को बताया गया कि अभी बैठक तय नहीं है। फिर भी सुभासपा के सभी विधायकों को लखनऊ बुला लिया गया। वे लखनऊ में पहुंच कर बैठक में बुलावे आने का इंतजार करते रहे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे सुभासपा की नाराजगी बढ़ गई है।
सपा और सुभासपा के बीच मनमुटाव विधान परिषद चुनाव को लेकर ही दिखने लगा था। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर चाहते थे कि विधान परिषद की चार सीटों में कम से कम एक सीट उन्हें मिले, जिससे उनका बेटा सदन में पहुंच सके। लेकिन अखिलेश यादव ने इनकार कर दिया।
