ज्ञानवापी केस: उत्तर प्रदेश में इन दिनों धार्मिक विवाद बढ़ता ही चला जा रहा है, वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है l अब श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
शिवलिंग के भोग, आरती और पूजा के लिए उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह प्रकरण भी पूर्व के मामलों के साथ अदालत में सुना जाएगा। सोमवार को पूर्व महंत जिला अदालत में याचिका दाखिल करने के लिए पहुंचे और ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की।
उन्होंने दर्शन पूजन भोग के लिए आवेदन दाखिल किया है। इस मामले में पूर्व में ही उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र को महंत परिवार की संपत्ति होने का दावा किया था। महंत ने याचिका में कहा है कि प्रार्थी के पूर्वज बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत के रूप में सेवा करते थे। महंत कैलाश पति तिवारी के दिवंगत होने के बाद डॉ. कुलपति तिवारी बाबा की सेवा करने लगे। प्रार्थी के पूर्वजों के अनुसार 1669 से 1700 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुन: निर्माण कराया।
पूर्वजों ने बताया था कि औरंगजेब के फरमान के बाद 1669 ई में मुगल सेना ने विश्वेश्वर मंदिर ध्वस्त कर दिया था। स्वयंभू ज्योर्तिलिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए महंत पन्ना महाराज शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे। सेना ने नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन तोड़ नहीं पाए।बाबा विश्वेश्वरनाथ जहां हुआ करते थे उसको ज्ञानवापी कूप कहा जाता था जो वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
