दिल्ली: 15 अप्रैल 2014 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले ने थर्ड जेंडर को संवैधानिक अधिकार दे दिए और सरकार को निर्देशित किया कि वह इन अधिकारों को लागू करने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करेl उसके बाद 5 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद थर्ड जेंडर के अधिकारों को क़ानूनी मान्यता मिल गई, इसी क्रम मे ट्रांसजेंडर की सुविधाओं के लिहाज से दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के स्टेशनों पर इस वर्ग के लिए विशेष शौचालयों के बाहर लिखे शब्द पर की गई आपत्ति, टिप्पणी को देखते हुए इसे बदलने पर विचार कर सकता है। डीएमआरसी ने साफ किया है कि एक संगठन के तौर पर सभी वर्ग के यात्रियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के प्रति पूर्ण तौर पर संवेदनशील है। इसे ध्यान में रखते हुए शौचालयों के बाहर लिखे शब्द उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर के साथ साथ साइनेज में भी बदलाव पर विचार कर रहा है।
इस तरह के साइनेज लगाने से किसी को चोट पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। डीएमआरसी अब ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए साइनेज में भी बदलाव के लिए तैयार है। डीएमआरसी यह भी सुनिश्चित करेगी कि शौचालय में इस्तेमाल किए गए साइनेज पर ट्रांसजेंडर शब्द को अंग्रेजी में ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति’ के तौर पर सही किया जाए।
डीएमआरसी ने स्पष्ट किया है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जारी राजपत्र अधिसूचना (हिंदी संस्करण) से डीएमआरसी ने ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति’ के लिए हिंदी शब्द ‘उभयलिंगी’ को अपनाया था। सार्वजनिक स्थानों पर दुनिया भर में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शौचालयों के बाहर उपयोग किए जाने वाले संकेतों का अध्ययन में पाया कि आधे पुरुष और आधी महिला दिखाने वाले संकेत सर्वाधिक प्रचलित है ताकि आसानी से पहचान की जा सके।
