वर्तमान में राष्ट्र अपने आज़ादी के 75वें को ‘आज़दी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मना रहा है. यह हमारे राष्ट्रीय जीवन में हर्ष और उल्लास का दिन तो है ही, इसके साथ ही स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों का पुण्य दिवस भी है। स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव में एक विशाल साहित्य का निर्माण हुआ और उसे राष्ट्रीय आंदोलन का साहित्य नाम दिया गया। 1857 की क्रांति की असफलता के पश्चात समाज में जो सन्नाटा व्याप्त हुआ, उस सन्नाटे को तोड़ते हुए साहित्यकारों ने जन भावनाओं को माध्यम बनाया। साहित्य ने स्वतंत्रता आंदोलन में जन चेतना को आधार भूमि प्रदान की। लगभग सभी भाषाओं के साहित्यकारों ने युग चेतना को गद्य और पद्य के माध्यम से आवाज दी।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के इस अवसर हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ पर उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 30-31 अक्टूबर 2021 को एक राष्ट्रीय संगोष्ठी – ‘स्वतंत्रता संग्राम और हिंदी साहित्य’ विषय पर आयोजित कर रहा है. यह संगोष्ठी उद्घाटन एवं समापन समेत 06 सत्रों में सम्पन्न होगी. दिनांक 30 अक्टूबर 2021 को पूर्वाहन 11.30 बजे संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. अनिल कुमार शुक्ल, कुलपति, ख्वाज़ा मोईनुद्दीन भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ, मुख्य समागत श्री सुधीर मिश्र, संपादक, नवभारत टाइम्स, लखनऊ, बीज वक्तव्य प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित, सभापति, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज/ राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वर्धा और अध्यक्षता प्रो. सदानंद प्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ करेंगे.
प्रथम अकादमिक सत्र – ‘स्वतंत्रता संग्राम और हिंदी-कविता’ में प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय, जयपुर विश्वविद्यालय, जयपुर, प्रो. हरीश कुमार शर्मा, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थनगर, प्रो. विद्योत्तमा मिश्रा, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली अपने विचार रखेंगे.
द्वितीय दिवस 31 अक्टूबर 2021 को प्रातः 10.00 बजे द्वितीय अकादमिक सत्र ‘स्वतंत्रता संग्राम और हिंदी गद्य’ के अंतर्गत प्रो. हरीश अरोड़ा, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, प्रयागराज, प्रो. सुनील कुमार द्विवेदी, उत्तर बंग विश्वविद्यालय, राजा राममोहनपुर, सिलीगुड़ी और डॉ. नवीन कुमार नंदवाना, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर अपने वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे.
तृतीय अकादमिक सत्र ‘स्वतंत्रता संग्राम और हिंदी पत्रकारिता’ में प्रो. कुमुद शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, श्री अनंत विजय, उपसंपादक, दैनिक जागरण, नोएडा, प्रो. रमेश चंद त्रिपाठी, कृतकार्य आचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ और प्रो. गोविन्द जी पाण्डेय, बाबा साहेब आंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय,लखनऊ अपने विचार-दृष्टि रखेंगे.
चतुर्थ अकादमिक एवं समापन सत्र ‘स्वतंत्रता संग्राम में लोक कवि-कलाकारों की भूमिका’ के अंतर्गत डॉ. हरिमोहन, कुलपति, जे.एस. विश्वविद्यालय, शिकोहाबाद, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, लोक साहित्य-विशेषज्ञ, लखनऊ, डॉ. विद्याविंदु सिंह, कृतकार्य संयुक्त निदेशक, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, डॉ. बहादुर सिंह परमार, महराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर और डॉ. अमिता दुबे, प्रबंध संपादक, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ अपनी विचार प्रस्तुत करेंगे.
