Uttar Pradesh

यूपी: दूषित पानी से क्रोमियम को अलग करेगा, क्योकि आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ताओं ने खोजा नया जीवाणु, कैंसर का खतरा होगा कम

वाराणसी: वाराणसी के आईआईटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ता डॉ. विशाल मिश्रा ने अपने शोध छात्र डॉ. वीर सिंह के साथ मिलकर एक ऐसे जीवाणु स्ट्रेन की खोज की है, जो अपशिष्ट जल में मिलने वाले हेक्सावालेंट क्रोमियम को अलग कर देगा। यह क्रोमियम शरीर में कई बीमारियों की जड़ है। इससे कैंसर, गुर्दे, लीवर संक्रमण, बांझपन तक की समस्या होती है।

डॉ. विशाल मिश्रा ने बताया कि 21 राज्यों के 153 जिलों में लगभग 239 मिलियन लोग ऐसा पानी पीते हैं जिसमें अस्वीकार्य रूप से उच्च स्तर के जहरीले धातु आयन होते हैं। डब्ल्यूएचओ ने भी चेतावनी दी है कि पीबी, सीआर, सीडी जैसी जहरीली भारी धातुओं वाले लंबे समय तक पानी पीने से त्वचा, पित्ताशय, गुर्दे या फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

आईआईटी बीएचयू  के डॉ. विशाल मिश्रा ने दूषित साइट से नए जीवाणु स्ट्रेन को अलग किया है जो अपशिष्ट जल से जहरीले हेक्सावालेंट क्रोमियम को हटा सकता है। शोध में यह पाया गया कि इस बैक्टीरियल स्ट्रेन ने जलीय माध्यम वाले क्रोमियम में तेजी से विकास दर दिखाई दिया और जल उपचार प्रक्रिया के बाद आसानी से जलीय माध्यम से अलग हो गए। बैक्टीरियल मध्यस्थता अपशिष्ट जल उपचार प्रक्रिया बहुत सस्ती और गैर-विषाक्त है, क्योंकि इसमें महंगे उपकरणों और रसायनों की भागीदारी नहीं है।

डॉ. विशाल मिश्रा ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल 3.4 मिलियन लोग पानी से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं। यूनिसेफ के आकलन के अनुसार, बैक्टीरिया से दूषित पानी के सेवन से हर दिन 4000 बच्चे मर जाते हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है कि 2.6 बिलियन से अधिक लोगों के पास स्वच्छ पानी तक पहुंच नहीं है, जो सालाना लगभग 2.2 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top