Education

लखनऊ विश्वविद्यालय में हुआ साप्ताहिक संस्कृतमहोत्सव का समापन

लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृतमहोत्सव का आयोजन दिनांक 19 अगस्त 2021 से 25 अगस्त 2021 तक संस्कृतसप्ताह के अंतर्गत किया गया। इस समारोह का सम्पूर्त्ति सत्र में आज दिनांक 25 अगस्त 2021 को अपराह्ण 3 बजे ऑनलाइन माध्यम से संपन्न हुआ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के कीर्तिमान् अध्यक्ष डॉ० वाचस्पति मिश्र आज के संपूर्त्ति सत्र में मुख्यवक्ता थे। उन्होंने संस्कृत की उपादेयता को प्रतिपादित करने के लिए सात सूत्रों पर बल दिया जिनसे संस्कृत की सत्ता महत्ता और उपयोगिता का ज्ञान होता है।

इतिहास के अनुसार उन्होंने सिद्ध किया कि प्राचीन भारत में व्यवहार की भाषा संस्कृत थी। विदेशी यात्री ह्वेनसांग आदि भारत आने से पूर्व अपने देश से संस्कृत सीख कर आए थे। एक बार भारत के पूर्व राष्ट्रपति कलाम जब यूनान की विदेश यात्रा पर गए थे तो वहां के राष्ट्राध्यक्ष ने उनका स्वागत संस्कृत भाषा के वाक्यों से किया था। वास्तव में भारत की तथा भारतीयता की पहचान संस्कृत है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक तथा उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत को एक सूत्र में बांधने की भाषा संस्कृत है।

सम्पूर्ति सत्र के विशिष्टातिथि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो ० हरेराम त्रिपाठी जी थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि नई शिक्षा नीति में जिस भारतीय ज्ञान प्रणाली की चर्चा आई है वास्तव में वह संस्कृत ज्ञान प्रणाली ही है। जिसके परिज्ञान के विना भारत की शिक्षा व्यवस्था में भारतीयता एवं भारतीय संस्कृति का समावेश असंभव रहेगा। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने संस्कृत एवं संस्कृति की रक्षा के प्रति सभी भारतीयों का आह्वान किया कि सभी संकल्प लें संस्कृत एवं संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत का अध्ययन अवश्य करेंगे।

सम्पूर्त्ति सत्र में कला संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय की अधिष्ठाता प्रो प्रेमसुमन शर्मा जी भी उपस्थित रहीं। उन्होंने संस्कृत समारोह के सफल आयोजन हेतु समस्त आयोजकों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा कि आगामी श्रावण पूर्णिमा को अगले वर्ष संस्कृत दिवस के अवसर पर हम सभी भौतिक रूप से एक भव्य विशाल समारोह का आयोजन करेंगे।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के सहायकाचार्य डॉ० सत्यकेतु द्वारा किया गया। कार्यक्रम में समागत विद्वानों एवं श्रोताओं का वाचिक स्वागत विभाग के समन्वयक  डॉ० प्रयाग नारायण मिश्र द्वारा किया गया।इन्होनें स्वागत संभार में काव्यपाठ करते हुए समागत विद्वानों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृत विभाग की ही छात्रा मांडवी त्रिपाठी द्वारा सुमधुर वंदना से किया गया। विद्वान् वक्ताओं के वक्तव्य के   उपरान्त डॉ० अभिमन्यु सिंह के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ आज के सत्र का समापन हुआ।

लखनऊ विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो. आलोककुमार राय के संरक्षण तथा संस्कृतविभाग की पदेन अध्यक्ष प्रो. प्रेमसुमनशर्मा, अधिष्ठाता कलासंकाय के निर्देशन मे डॉ प्रयागनारायण मिश्र समन्वयक, संस्कृत विभाग ने इस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया।

कार्यक्रम में डॉ भुवनेश्वरी भारद्वाज, डॉ अशोक कुमार शतपपथी, डॉ गौरवसिंह, डॉ ब्रजेश सोनकर तथा डॉ ऋचापांडेय आदि विभागीय प्राध्यापकों  सहित सत्तर से अधिक छात्र छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में वरिष्ठ आई ए एस डॉ चंद्रभूषण त्रिपाठी, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर के पूर्व प्राचार्य विजयकुमार जैन, कानपुर की डा रेखा शुक्ला, डा अरविन्दतिवारी, डा चन्दर किशोर आदि अनेक महनीय विद्वान् एवं विदुषियां उपस्थित रहे। आज का कार्यक्रम संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग द्वारा ऑनलाइन माध्यम से गूगल मीट के प्लेटफार्म पर आयोजित किया गया।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top