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पश्चिम बंगाल: पार्थ चटर्जी और अर्पिता को नहीं मिली राहत, न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ी, दो महीने पहले हुए थे गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती घोटाले के मामले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की मुश्किलें और बढ़ गई, एक विशेष पीएमएलए अदालत ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की न्यायिक हिरासत 28 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी। वहीं धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने चटर्जी की कथित करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी।
पूर्व मंत्री की जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायाधीश विद्युत बरन रॉय ने ईडी की अपील पर 28 सितंबर तक चटर्जी और अर्पिता को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।बताया जा रहा है कि पार्थ और अर्पिता दोनों ही सुनवाई के दौरान रो पड़े। दोनों करीब दो महीने पहले गिरफ्तार हुए थे।

पार्थ और अर्पिता ने व्यावहारिक रूप से सभी आरोपों से इनकार किया और बरी होने की गुहार लगाई। बताया जाता है कि दोनों ही पेशी के दौरान रो पड़े। पार्थ ने रोते हुए कहा, मुझे चैन से रहने दो। और अर्पिता ने कोर्ट में दावा किया कि पैसे की कोई जानकारी नहीं है। जबकि जमानत की अर्जी का विरोध करते हुए ईडी के वकील फिरोज एडुल्जी ने अदालत के समक्ष दावा किया कि पूर्व मंत्री के कथित सहयोगी अर्पिता मुखर्जी की नकदी और संपत्ति के रूप में अब तक करीब 100 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है।

यहां प्रेसीडेंसी सुधार गृह से वर्चुअल मोड के माध्यम से अदालत के सामने पेश किए गए पार्थ चटर्जी ने प्रार्थना की कि उन्हें जमानत दी जाए। जज के सामने उनके वकील शारीरिक रूप से मौजूद थे। न्यायाधीश ने ईडी को दो आरोपियों से सुधार गृह में पूछताछ करने और उनके बयान दर्ज करने की अनुमति दी।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि दोनों आरोपियों को 28 सितंबर को वर्चुअल मोड के जरिए फिर से उसके सामने पेश किया जाए। चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को ईडी ने 23 जुलाई को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों में धन के मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

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