पत्रकार हामिद मीर (Hamid Mir) को सेना की आलोचना करने पर न्यूज पढ़ने से रोक दिया गया है. दरअसल, हामिद मीर ने एक अन्य पत्रकार पर हमले के विरोध में पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) के खिलाफ बयान दिया था. इस घटना के कुछ दिन बाद ही उन्हें उनके प्रतिष्ठित शो पर बोलने से रोक दिया गया. इस तरह एक बार फिर ये साबित हो गया है कि इमरान खान (Imran Khan) की सरकार पाकिस्तानी सेना के दबाव में झुककर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को डिगाने में जुट गई है.

हामिद मीर ने समाचार एजेंसी अल जजीरा को बताया कि वह जियो न्यूज (Geo News) पर आने वाले ‘कैपिटल टॉक’ (Capital Talk) को सोमवार शाम से होस्ट नहीं कर रहे हैं. मीर ने कहा, मुझे केवल जियो प्रबंधन द्वारा बताया गया है कि मैं शो की मेजबानी नहीं करूंगा. उन्होंने कहा कि बहुत प्रेशर है (पिछले हफ्ते विरोध प्रदर्शन पर बयानों के बाद). उन्होंने यह नहीं बताया कि यह प्रेशर कहां से पैदा किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जियो न्यूज के ऊपर हामिद मीर को नौकरी से निकालने का दबाव भी है.

दरअसल, पिछले हफ्ते राजधानी इस्लामाबाद में एक स्वतंत्र पाकिस्तानी पत्रकार असद अली तूर (Asad Ali Toor) को उनके घर के बाहर तीन अज्ञात लोगों ने पीटा. साथ ही चेतावनी दी कि वह अपने काम को करना बंद कर दें. इस पत्रकार की पहचान पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की आलोचना करने वाले व्यक्ति के तौर पर होती है. पुलिस के मुताबिक, तूर को देर रात अपस्केल F-10 सेक्टर में स्थित उनके आवास के बाहर बांधकर बुरी तरह पीटा गया. तूर एक यूट्यूबर भी हैं.
तूर पर हुए हमले के विरोध में शुक्रवार को मीर ने हाल ही में पाकिस्तान में पत्रकारों पर हुए हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान उजागर करने की धमकी दी थी. उन्होंने पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत को लेकर कई शब्दों का इस्तेमाल किया और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) का नाम भी लिया. मीर ने कहा कि यदि आप हम पर हमला करने के लिए हमारे घरों में घुस रहे हैं, तो ठीक है. हम आपके घरों में प्रवेश नहीं कर सकते क्योंकि आपके पास टैंक और बंदूकें हैं. लेकिन हम आपके घरों के भीतर होने वाली चीजों को सार्वजनिक कर सकते हैं.

बता दें कि 2014 में हामिद मीर ने देश के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत (Balochistan province) में सेना द्वारा कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन पर केंद्रित अपने कार्यक्रम के एक एपिसोड की मेजबानी की. इसके तुरंत बाद ही उन पर अज्ञात हमलावरों ने गोलियां बरसा दीं थीं, लेकिन मीर इस हमले में बाल-बाल बच गए थे. पाकिस्तान में मीडिया को पाकिस्तान की सरकार और सेना की आलोचना करने पर भारी खामियाजा भुगतना पड़ता है. अक्सर ही पड़ोसी मुल्क में पत्रकारों को हमलों का शिकार होना पड़ता है. इसे लेकर दुनियाभर में पाकिस्तान की आलोचना भी होती है.

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