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वाराणसी में 10 लाख से अधिक बच्चों पर 175 डॉक्टर, कोरोना की तीसरी लहर से कैसे लड़ेंगे जंग?

कोरोना की तीसरी लहर में सबसे अधिक बच्चों के संक्रमण की चपेट में आने की आशंका जताई जा रही है। इसके मद्देनजर शासन-प्रशासन अभी से सतर्क है। लेकिन वाराणसी जिले में बच्चों के इलाज के लिए संसाधन नाकाफी हैं। आकड़ों के अनुसार, जिले में 10 लाख बच्चों के इलाज के लिए केवल 175 डॉक्टर हैं।
जिले में 18 साल से कम उम्र के करीब 10 लाख बच्चे और किशोर हैं। इनके इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में 25 और निजी अस्पतालों में 150 बाल रोग विशेषज्ञ हैं। आकड़ों के हिसाब से 5715 बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी एक डॉक्टर पर है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक होती है तो बच्चों के इलाज में बड़ी परेशानी हो सकती है।

सीएमओ डॉक्टर वीबी सिंह ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयारियां चल रही हैं। अस्पतालों में पर्याप्त बेड, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ जांच, ऑक्सीजन और अन्य व्यवस्था की जा रही है। निजी अस्पतालों के साथ ही बीएचयू का भी सहयोग लिया जाएगा।
सरकारी अस्पतालों में केवल 25 बाल रोग विशेषज्ञ
वाराणसी जिले में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी दूर करना बड़ी चुनौती है। सरकारी अस्पतालों में जिला महिला अस्पताल कबीरचौरा, मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा, शास्त्री अस्पताल रामनगर, दीनदयाल अस्पताल, ईएसआईसी और शहरी ग्रामीण इलाकों में के स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल मिलाकर महज 25 डॉक्टर ही हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में स्थिति भयावह होती है तो भगवान ही मालिक है।

महिला अस्पताल में एमसीएच विंग हो रहा तैयार
जिला महिला अस्पताल कबीरचौरा में 100 बेड वाले एमसीएच विंग को भी बच्चों के इलाज के लिए तैयार कराया जा रहा है। जल्द ही इसे ऑक्सीजन पाइप लाइन से जोड़ दिया जाएगा, ताकि बच्चों के इलाज में परेशानी न हो। इसके अलावा जांच संबंधी और अन्य उपकरण भी मंगाए जा रहे हैं।

बेडों की संख्या बढ़ाना चुनौती
बच्चों के इलाज के लिए अस्पतालों में बेड बढ़ाना भी बड़ी चुनौती बनी है। इस समय बीएचयू डीआरडीओ और अन्य सरकारी अस्पतालों में मिलाकर कुल 583 बेड हैं। हालांकि बेड बढ़ाने की प्रक्रिया चल रही है।
सरकारी अस्पताल में बच्चों के लिए 583 बेड
बीएचयू अस्पताल – 90
दीनदयाल अस्पताल – 64
होमीभाभा कैंसर अस्पताल -15
बीएलडब्ल्यू -24
ईएसआईसी – 40
डीआरडीओ अस्पताल – 250
बीएचयू एमसीएच विंग -100
(इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी एनआईसीयू, पीआईसीयू में 250 बेड हैं)

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